मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव में ड्यूटी लगाए जाने का विरोध किया था।
दरअसल, प्रदेश की दस हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स को महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ चुनाव ड्यूटी में भी लगाया जा रहा था। इसे चुनौती देते हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं शासकीय एकता यूनियन, भोपाल ने हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल की थी। उनका मुख्य तर्क था कि ICDS की कोर सर्विसेज पहले से ही बहुत डिमांडिंग हैं, ऐसे में एक्स्ट्रा इलेक्शन ड्यूटी से बच्चों और महिलाओं की मूल सेवाएं प्रभावित होंगी।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद याचिका डिसमिस करते हुए साफ कहा कि अगर हर डिपार्टमेंट के कर्मचारी चुनाव ड्यूटी से मना करने लगें तो फिर चुनाव कौन करवाएगा? कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि सरकार को चुनाव कराना है तो वह अपने ही एम्प्लॉयीज़ को यह जिम्मेदारी सौंपेगी, क्योंकि वे सिस्टम का हिस्सा हैं।
अब इस फैसले के बाद प्रदेश भर की दस हजार से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अपने रेगुलर ICDS वर्क के साथ-साथ चुनाव ड्यूटी भी निभानी पड़ेगी। यूनियन की ओर से आगे क्या कदम उठाया जाएगा, इस पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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