भारत में बिहार के चुनाव चल रहे हैं, महिला क्रिकेट का फाइनल चल रहा है, 1 नवंबर से देश में कई नियम बदल गए हैं और दिल्ली की हवा बेहद प्रदूषित हो गई है लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन सुर्खियों में है। श्रीहरिकोटा में आज कुछ ऐसा हुआ है जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरिक्ष में भारत की समुद्री आंख और डिजिटल कवच
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को मिल रही विदेशी मदद के बीच आज, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने सबसे भारी और शक्तिशाली रॉकेट LVM3-M5 का सफल प्रक्षेपण किया। इस रॉकेट ने CMS-03 (जिसे GSAT-7R भी कहते हैं) नामक एक बहुत भारी संचार उपग्रह (Communication Satellite) को अंतरिक्ष में स्थापित किया है। इस उपग्रह का वज़न लगभग 4,400 किलोग्राम है, जो भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है जिसे भारतीय धरती से लॉन्च किया गया है।
सरल शब्दों में इसके फायदे क्या हैं?
यह उपग्रह मुख्य रूप से भारतीय नौसेना के लिए एक "समुद्री आँख" और "डिजिटल कवच" की तरह काम करेगा। इसके मुख्य फायदे इस प्रकार हैं:
1. सुरक्षा और निगरानी होगी मजबूत
यह भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और हवाई जहाजों के बीच तेज, सुरक्षित और बिना रुकावट वाला संपर्क (कम्युनिकेशन) स्थापित करेगा।
समुद्र पर नजर: यह हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) के एक बड़े हिस्से पर मजबूत कवरेज देगा, जिससे नौसेना को समुद्री सीमाओं की बेहतर निगरानी करने और दुश्मनों की हरकतों पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
2. बेहतर डिजिटल कनेक्टिविटी
यह भारत की मुख्यभूमि और दूर-दराज के समुद्री इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन जैसी संचार सेवाओं को और बेहतर बनाएगा।
आपातकालीन सेवाएं: यह दूरस्थ क्षेत्रों, जैसे दुर्गम पहाड़ी या दूर समुद्र में, आपातकालीन संचार और आपदा प्रबंधन सेवाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
3. तकनीक में आत्मनिर्भरता
यह पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और बनाया गया है, जो हमारी स्वदेशी तकनीक की बड़ी सफलता है। अब भारत अपने भारी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए किसी विदेशी मदद पर निर्भर नहीं रहेगा।
संक्षेप में, यह लॉन्च देश की सुरक्षा को मजबूत करने और डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है।
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