भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी में क्षत्रिय समुदाय की आवाज बुलंद करने वाली करणी सेना ने आज एक शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ प्रदर्शन का आयोजन किया। खुशीलाल ग्राउंड पर सुबह से शुरू हुए क्षत्रिय क्रांति सम्मेलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एकत्रित हुए, जहां उन्होंने अपनी 15 प्रमुख मांगों को लेकर सरकार से न्याय की अपील की। यह आंदोलन हरदा जिले में हुई घटना से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रहा, जिसमें दो वरिष्ठ अधिकारियों (कलेक्टर और एसपी) के निलंबन की प्रमुख मांग शामिल है।
सीएम हाउस के अधिकारियों ने 25 नवंबर तक के समय मांगा
सम्मेलन के बाद दोपहर करीब दो बजे, करणी सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मुख्यमंत्री निवास की ओर बढ़े। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारी सड़क पर धरना देकर बैठ गए। इस बीच, एक आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सीएम हाउस पहुंचने का मौका मिला। हालांकि, मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तृत चर्चा की। अधिकारियों ने मांगों के समाधान के लिए 25 नवंबर तक का समय मांगा, जिसे प्रतिनिधिमंडल ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं को लौटकर इसकी घोषणा की गई, और फिलहाल आंदोलन को स्थगित कर दिया गया।
भोपाल को नेपाल बनाने में जरा भी देरी नहीं लगेगी
प्रदेश अध्यक्ष इंदल सिंह राणा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हम विनम्रता से अपील कर रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। हरदा केस में जिम्मेदार अधिकारियों का निलंबन हो, वरना भोपाल को नेपाल बनाने में जरा भी देरी नहीं लगेगी।" उनके इस बयान ने माहौल में तनाव पैदा किया, लेकिन बातचीत के जरिए स्थिति को शांतिपूर्ण रखा गया। पदाधिकारियों ने बताया कि वे दोपहर दो बजे तक किसी वरिष्ठ अधिकारी के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन तीन बजे तक कोई नहीं पहुंचा तो मार्च शुरू हो गया।
यह प्रदर्शन सामाजिक न्याय और समुदायिक हितों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। करणी सेना ने स्पष्ट किया है कि 25 नवंबर तक सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने पर आगे की रणनीति पर विचार होगा। भोपाल की सड़कों पर चले इस आंदोलन ने स्थानीय प्रशासन को सतर्क कर दिया है, और उम्मीद है कि संवाद से ही सभी पक्षों के हित सुरक्षित रहेंगे।
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