भोपाल, 11 नवंबर 2025: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लगभग 50 साल पुराने केरवा ब्रिज के ऊपर बना सीमेंट क्रांक्रीट का स्लैब गिर गया। यह गेट नंबर 8 के ऊपर बना था। कुछ देर पहले ही यहां से गांव वाले निकले थे। टूटने के बाद भी ग्रामीण निकल रहे हैं। जबकि लोग निर्माण में वाक्य अधिकारियों का कहना है कि हमने तो बहुत साल पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था। नोट करने वाली बात यह है कि, घटना स्थल पर पीडब्ल्यूडी का कोई नोटिस बोर्ड नहीं है।
कुछ देर पहले ही गांव के लोग निकले थे, पर्यटक भी आते हैं
बताया जाता है कि मंगलवार की दोपहर में यह हादसा हुआ। केरवा डैम का निर्माण भदभदा डैम से पहले हुआ था। भदभदा डैम साल 1965 में बना था। इस हिसाब से करीब 50 साल पुराना बताया जा रहा है। केरवा डैम से भोपाल के कोलार इलाके में पानी की सप्लाई होती है। प्रत्यक्षदर्शी आसिफ खान ने बताया कि सुबह करीब 9 बजे मैं ब्रिज (गेट के ऊपर बना स्लैब) के ऊपर से गुजर रहा था। कुछ दूर पहुंचा ही था कि अचानक एक हिस्सा भरभराकर गिर गया। आसिफ में बताया कि इसी ब्रिज के ऊपर आसपास के गांव के लोग भी गुजरते हैं।वे कुछ देर पहले ही निकले थे। थोड़ी से भी देर होती तो कई लोगों की जान जा सकती थी। बारिश के दौर हजारों लोग यहां आते हैं और ब्रिज के ऊपर से इधर से उधर आना जाना करते हैं। गनीमत रही कि ये हादसा उस समय नहीं हुआ।
लोग टूटे हुए ब्रिज के ऊपर से निकल रहे हैं
बता दें कि इस बार डैम पूरा नहीं भरा है। कोलार, भदभदा और कलियासोत डैम के गेट कई बार खुल चुके थे, लेकिन केरवा के गेट एक बार भी नहीं खोले गए। ब्रिज का एक हिस्सा टूटने के बावजूद लोगों का यहां आना-जाना बना हुआ है। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। सुबह जल संसाधन विभाग के अधिकारी जरूर पहुंचे थे, लेकिन बाद में कोई नहीं पहुंचा।
PWD वाले बोले: हमने तो पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है
इस मामले में जल संसाधन विभाग ने अजीब तर्क दिया है। विभाग के अनुसार, केरवां बांध के दायें पार्श्व पर स्थित लगभग 70 मीटर लंबे फुट ब्रिज के 4 स्पान में से एक स्पान (लगभग 17.5 मीटर) में 11 नवंबर को आंशिक क्षति की सूचना प्राप्त हुई है। यह संरचना वर्ष 1980 में बांध निर्माण के समय निर्मित की गई थी। विभाग के अनुसार घटना में किसी प्रकार की जनहानि या अन्य नुकसान की सूचना नहीं है। विभाग द्वारा इस फुट ब्रिज पर सामान्य आवागमन पहले से ही प्रतिबंधित था तथा इसे केवल निरीक्षण कार्य हेतु सीमित उपयोग में लिया जाता था। जबकि हकीकत ये है कि कई लोग अभी भी इस ब्रिज का इस्तेमाल इधर से उधर आने- जाने में कर रहे थे। दूसरी ओर, बढ़ा हिस्सा टूटा है। ब्रिज कई जगहों से क्षतिग्रस्त भी हो रहा है।
.webp)