कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री दिग्विजय सिंह बड़े चतुर पॉलीटिशियन हैं। दतिया स्थित पीतांबरा पीठ के दर्शन के बहाने आए और झांसी में प्रेस कांफ्रेंस करके उत्तर प्रदेश की पॉलिटिक्स में घुसपैठ कर दी। एक नागरिक होने के नाते दतिया जाने की स्वतंत्रता उनको प्राप्त है, परंतु झांसी में प्रेस को बुलाकर बयान देने से पहले पार्टी से अनुमति लेनी चाहिए। श्री दिग्विजय सिंह हमेशा इतनी सी अनुशासनहीनता करते हैं।
दिग्विजय सिंह की प्रेरणा अनुसंधान का विषय
पॉलिटिक्स की पढ़ाई करने वालों के लिए श्री दिग्विजय सिंह की प्रेरणा अनुसंधान का विषय होना चाहिए। क्यों कुछ खास प्रकार के मामलों में 78 वर्षीय पितामह दिग्विजय सिंह में अजीब सी स्फूर्ति आ जाती है। भोपाल में एक मछली ने पूरा तालाब गंदा कर दिया लेकिन राजा साहब को कोई तकलीफ नहीं हुई। इंदौर में एक शरारती लड़के ने दुकानदारों को धमकाया तो पार्टी का प्रोटोकॉल तोड़ते हुए इंदौर पहुंच गए। उत्तर प्रदेश के बरेली में शांति भंग हुई तो मन मचल उठा। कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी नहीं दी है। ऐसे कोई पद पर नहीं है कि बरेली जा सकें। इसलिए पीतांबरा पीठ के दर्शन के बहाने झांसी पहुंच गए। यहां पत्रकारों को बुलाकर बयान दिया ताकि उत्तर प्रदेश की मीडिया में हेडलाइंस बन सके। सोनम वांगचुक की जगह सलीम खान होता तो श्री दिग्विजय सिंह अब तक या तो जोधपुर जेल के बाहर या फिर लद्दाख पहुंच चुके होते।
मीडिया में बयान देने की आजादी कांग्रेस की दुर्गति का कारण
देशभर में कांग्रेस पार्टी की जो दुर्गति हुई है उसके लिए कांग्रेस पार्टी की पॉलिसी ही जिम्मेदार है। कांग्रेस पार्टी ने छोटे नेताओं पर सभी तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं लेकिन वरिष्ठ नेताओं को किसी भी विषय पर मीडिया में बयान देने की आजादी दे रखी है। कांग्रेस के नेता अपनी पर्सनल आईडियोलॉजी और प्राइवेट पॉलिटिक्स के लिए इसका फायदा उठाते हैं। कांग्रेस पार्टी को हमेशा नुकसान होता है। रिकॉर्ड उठा कर देख लीजिए इसी प्रकार के बयानों के कारण कांग्रेस पार्टी को हमेशा बैकफुट पर आना पड़ा।