Madhya Pradesh: जिन किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल पाई उनके लिए वैकल्पिक उर्वरक

ग्वालियर, 27 अक्टूबर 2025
: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में DAP (डाय अमोनियम फॉस्फेट) खाद की कमी से जूझ रहे किसान भाइयों के लिए राहत की खबर है। अब वैकल्पिक उर्वरकों का सहारा लिया जा सकता है, जो न केवल DAP से अधिक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, बल्कि फसल उत्पादन को भी बढ़ावा देते हैं। जिला कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अधिकारियों को इन विकल्पों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के सख्त निर्देश दिए हैं, ताकि हर किसान इनका लाभ उठा सके।

किसान भाइयों से अपील की गई है कि वे DAP पर पूरी तरह निर्भर न रहें और इन आधुनिक विकल्पों को अपनाकर अपनी मेहनत का बेहतर फल पाएं। जिले के उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास, श्री आर एस जाटव ने बताया, "DAP में केवल 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है, जबकि इसके विकल्पों में इससे कहीं ज्यादा पोषक तत्व मौजूद हैं। ये उर्वरक जिले में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए किसान भाई इनका उपयोग कर अधिक पैदावार हासिल करें।"

जिले में फिलहाल निजी और सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कुल 22,834 मीट्रिक टन उर्वरक स्टॉक में हैं। इसमें 9,431 मीट्रिक टन यूरिया, 2,946 मीट्रिक टन DAP, 314 मीट्रिक टन MOP (म्यूरिएट ऑफ पोटाश), 6,081 मीट्रिक टन NPK, और 4,152 मीट्रिक टन SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) शामिल हैं। यह उपलब्धता किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने में मददगार साबित हो रही है।

DAP के प्रभावी विकल्प: सरल और फायदेमंद

किसान भाई इन विकल्पों को आसानी से अपना सकते हैं, जो फसलों की जरूरतों के अनुरूप तैयार किए गए हैं। यहां कुछ प्रमुख सुझाव दिए जा रहे हैं:

पहला विकल्प: यूरिया और SSP का संयोजन। एक बोरी DAP की जगह 20 किलोग्राम यूरिया के साथ तीन बोरी SSP का उपयोग करें। SSP में 16 प्रतिशत फॉस्फोरस, 12.5 प्रतिशत सल्फर, और 21 प्रतिशत कैल्शियम पाया जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता को संतुलित रखता है।

दूसरा विकल्प: NPK (12:32:16)। यह एक बोरी DAP का सीधा स्थानापन्न है, जिसमें 12 प्रतिशत नाइट्रोजन, 32 प्रतिशत फॉस्फोरस, और 16 प्रतिशत पोटाश होता है। यह सभी प्रकार की फसलों के लिए बहुमुखी साबित होता है।

तीसरा विकल्प: कॉम्प्लेक्स (20:20:0:13)। इसमें 20 प्रतिशत नाइट्रोजन, 20 प्रतिशत फॉस्फोरस, और 13 प्रतिशत सल्फर शामिल है। खासतौर पर दलहनी फसलों में सल्फर प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है, जबकि तिलहनी फसलों में तेल उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता है।

अन्य उपयोगी विकल्प: NPK 14:28:14, 14:35:14, 10:26:26, 15:15:15, और 16:16:16 जैसे संयोजन भी अत्यंत कारगर हैं। ये मिट्टी परीक्षण के आधार पर चुने जा सकते हैं, जिससे सस्टेनेबल फार्मिंग को बढ़ावा मिले।

कृषि विभाग के इस प्रयास से किसान भाई न केवल लागत बचाएंगे, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल खेती की दिशा में भी कदम बढ़ाएंगे। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें।
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