भारत में किसी भी सरकारी अधिकारी, नेता या व्यक्ति को बदनाम करने के लिए, बड़ी आसानी से झूठे आरोप लगा दिए जाते हैं। फिर वह अपने आरोपों का सामना करता है और खुद को निर्दोष साबित करने के लिए लंबा संघर्ष करता है। AI आ जाने के बाद से इस तरह की घटनाओं में काफी वृद्धि हो गई है, इसलिए सबको बताना जरूरी है कि भारत में किसी व्यक्ति को बदनाम करना तो अपराध है ही, बदनाम करने के लिए, झूठे आरोप की साजिश करना भी अपराध है। क्योंकि यह “अवैध कार्य” के लिए “सहमति” है।
सरल उदाहरण से समझिए
कुछ लोग योजना बनाते हैं कि, एक ईमानदार अधिकारी जो उनकी जांच कर रहा है। उस पर प्रेशर क्रिएट करने के लिए, अपने ही समूह के कुछ लोग सामाजिक कार्यकर्ता बनकर उससे मिलेंगे और आर्थिक सहयोग की मांग करेंगे। अधिकारी भला और धार्मिक व्यक्ति है, सामाजिक काम के लिए अपनी पॉकेट से पैसे निकालकर एक सामाजिक कार्यकर्ता को दे देगा। इस पूरी प्रक्रिया की फोटो और वीडियो बनाएंगे और फिर वीडियो को उल्टा करके (प्रारंभ से अंत तक के स्थान पर अंत से प्रारंभ तक) वायरल कर देंगे। तब वीडियो में अधिकारी, एक व्यक्ति को पैसा देते हुए नहीं बल्कि लेते हुए दिखाई देगा।
2. राजनीति में एक नेता, जब उसे चुनाव के लिए टिकट मिलने वाला है, या फिर कोई विधायक जिसे मंत्री पद मिलने वाला है, अथवा अन्य किसी प्रकार का प्रमोशन होने वाला है, उसके ठीक पहले, उसका विरोधी नेता एक तकनीकी विशेषज्ञ के साथ साजिश करता है। नेताओं से एक वीडियो उपलब्ध करवाएगा, तकनीकी विशेषज्ञ उस वीडियो को एडिट करेगा। जिसके कारण नेता बदनाम हो जाएगा।
Criminal Conspiracy
उपरोक्त दोनों या फिर इस प्रकार के सभी मामलों में अभी अपराध नहीं हुआ है। सिर्फ साजिश रची गई है लेकिन भारतीय न्याय संहिता में इस प्रकार की साजिश रचना भी अपराध है। BNS की धारा 61 "आपराधिक षड्यंत्र" (Criminal Conspiracy) से संबंधित है और यह संहिता के अध्याय IV ("अपहरण, आपराधिक षड्यंत्र और प्रयास" - Of Abetment, Criminal Conspiracy and Attempt) के अंतर्गत आती है। यह धारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120A और 120B को समेकित (consolidate) करती है।
BNS की धारा 61 की परिभाषा
1. आपराधिक षड्यंत्र की परिभाषा (धारा 61(1)): जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी साझा उद्देश्य (common object) से निम्नलिखित कार्य करने या करवाने के लिए सहमत होते हैं, तो ऐसे समझौते को आपराधिक षड्यंत्र कहा जाता है:
(a) एक अवैध कार्य (an illegal act); या (b) एक ऐसा कार्य (act) जो अवैध नहीं है, लेकिन उसे अवैध साधनों (illegal means) द्वारा करना।
महत्वपूर्ण बदलाव और अंतर्दृष्टि: BNS की धारा 61(1) में IPC की संबंधित धारा के मुकाबले 'साझा उद्देश्य' (common object) शब्द डाला गया है। इस संशोधन को प्रावधान के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से किया गया है, जो पहले केवल समझौते (mere agreement) के स्तर पर ही लागू हो जाता था।
परंतुक (Proviso) – कार्य की आवश्यकता: यह धारा एक महत्वपूर्ण शर्त प्रदान करती है। अपराध (offence) करने के समझौते को छोड़कर, कोई भी समझौता आपराधिक षड्यंत्र तब तक नहीं माना जाएगा जब तक कि समझौते के अलावा कोई कार्य (some act besides the agreement) उस समझौते के अनुसरण में एक या अधिक पक्षकारों द्वारा नहीं किया जाता है।
(इसका तात्पर्य यह है कि यदि षड्यंत्र किसी गंभीर अपराध को करने के लिए है, तो समझौता ही पर्याप्त है; लेकिन यदि षड्यंत्र किसी गैर-अपराधी, अवैध कार्य, या वैध कार्य को अवैध साधनों से करने के लिए है, तो षड्यंत्र को पूरा मानने के लिए कम से कम एक अतिरिक्त 'कार्य' (overt act) किया जाना आवश्यक है।)
2. आपराधिक षड्यंत्र का दंड (धारा 61(2)):
आपराधिक षड्यंत्र के लिए दंड दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
A. गंभीर अपराधों के लिए षड्यंत्र (धारा 61(2)(a)): यदि आपराधिक षड्यंत्र का उद्देश्य मृत्यु, आजीवन कारावास, या दो वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कठोर कारावास (death, imprisonment for life or rigorous imprisonment for a term of two years or upwards) से दंडनीय अपराध करना है, और उस षड्यंत्र के दंड के लिए संहिता में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है, तो अपराधी को उसी तरह दंडित किया जाएगा जैसे कि उसने उस अपराध का अपहरण (abetted) किया हो।
B. अन्य अपराधों के लिए षड्यंत्र (धारा 61(2)(b)): यदि षड्यंत्र ऊपर उल्लिखित गंभीर अपराधों को छोड़कर किसी अन्य अपराध को करने के लिए है, तो अपराधी को किसी भी विवरण के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह महीने से अधिक नहीं होगी, या जुर्माने के साथ, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
Illustration:
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61 के तहत अपराध की व्याख्या के लिए कोई विशिष्ट उदाहरण (Illustration) प्रदान नहीं किया गया है। हालाँकि, दंड की संरचना यह दर्शाती है कि:
1. यदि A और B, आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध (जैसे डकैती) करने की योजना बनाते हैं, तो वे आपराधिक षड्यंत्र के लिए दंडित होंगे, भले ही डकैती न हो, और उनका दंड उस अपराध के अपहरण के दंड के बराबर होगा (जैसा कि धारा 61(2)(a) में बताया गया है)।
2. यदि P और Q एक अवैध कार्य (जैसे किसी व्यक्ति को एक छोटे से सिविल मुकदमे से हटने के लिए मजबूर करने हेतु उसका बहिष्कार करना) करने के लिए सहमत होते हैं, जो केवल अवैध है, अपराध नहीं, तो उन्हें आपराधिक षड्यंत्र के लिए दंडित किया जाएगा यदि वे समझौते के अलावा कोई कार्य करते हैं, और दंड अधिकतम छह महीने का कारावास या जुर्माना होगा (जैसा कि धारा 61(2)(b) में बताया गया है)। ✍️लेखक: उपदेश अवस्थी, पत्रकार एवं विधि सलाहकार। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.