मध्य प्रदेश में वर्ग-1 शिक्षक भर्ती 2023 के चयन से वंचित रहे वेटिंग कैंडिडेट्स का संघर्ष बुधवार को चरम पर पहुंच गया। राजधानी भोपाल के अंबेडकर पार्क में इकट्ठा हुए अभ्यर्थियों ने अपनी निराशा को अनोखे प्रतीकात्मक विरोध के जरिए व्यक्त किया। यह आंदोलन न केवल सरकारी नीतियों पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि युवाओं की महत्वाकांक्षाओं और शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों को भी उजागर करता है, जहां हजारों योग्य उम्मीदवार अपनी मेहनत का फल पाने को बेताब हैं।
नागु सिंह देवड़ा ने मुंडन करवाया
प्रदर्शन के दौरान भावुकता का दौर चरम पर था, जब कई महिला अभ्यर्थियों ने अपने बाल काटकर सरकार के प्रति गुस्सा जाहिर किया, तो एक पुरुष उम्मीदवार ने मुंडन कराकर अपनी पीड़ा बयां की। नागु सिंह देवड़ा जैसे अभ्यर्थी ने भावुक होकर कहा कि संस्कृति में पिता की मृत्यु के बाद मुंडन से बेटा अनाथ कहलाता है, और आज हम खुद को वैसा ही महसूस कर रहे हैं, क्योंकि भर्ती प्रक्रिया ने हमें पूरी तरह निराश कर दिया है। यह दृश्य निश्चित रूप से दिल दहला देने वाला था, जो आंदोलन की गहराई को दर्शाता है।
अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें स्पष्ट हैं:
लोक शिक्षक संचालनालय (DPI) द्वारा प्रतीक्षा सूची जारी की जाए, दूसरी काउंसलिंग में 20 हजार पद बढ़ाकर वेटिंग क्लियर हो, और जनजातीय विभाग के 17,500 खाली पदों में वृद्धि कर समस्याओं का समाधान हो। ये मांगे न केवल तात्कालिक राहत की अपील हैं, बल्कि एक समावेशी और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की भी मांग करती हैं, जो युवाओं के भविष्य को सुरक्षित कर सके।
वर्ग-1 शिक्षक भर्ती 2023 के नोटिफिकेशन में कुल 8,721 पद घोषित किए गए थे, लेकिन अब तक केवल 2,910 पर ही नियुक्तियां हुई हैं। करीब 5,000 पद अभी भी खाली हैं, जिनमें अधिकांश बैकलॉग वैकेंसी हैं, जबकि फ्रेश पद बेहद सीमित हैं। स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय विभाग की संयुक्त भर्ती में कुल 8,720 पदों के बीच 16 विषयों के लिए मात्र 5,052 फ्रेश पद हैं, बाकी 3,668 बैकलॉग के। पांच साल बाद इतने कम फ्रेश पदों के कारण चयन परीक्षा में 80-85 अंक लाने वाले अभ्यर्थी भी वेटिंग में अटके हैं, जो प्रक्रिया की असंतुलन को रेखांकित करता है।
अभ्यर्थी अपनी व्यथा यूं बयां करते हैं कि पांच साल के लंबे इंतजार के बाद यह भर्ती उनके लिए अंतिम अवसर था, क्योंकि ओवरएज हो जाने से अन्य परीक्षाओं में भाग लेना मुश्किल हो गया है। पहली बार दो पेपरों की व्यवस्था के बावजूद नाममात्र के फ्रेश पद दिए गए, जबकि हजारों पद खाली पड़े हैं। ऐसे में, शिक्षा विभाग और जनजातीय विभाग से अपील है कि पदवृद्धि कर दूसरी काउंसलिंग शीघ्र कराई जाए, ताकि योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिल सके।
उच्च माध्यमिक शिक्षक चयन परीक्षा 2023 में कुल 45,553 अभ्यर्थियों में से 40,478 ने सफलता पाई, लेकिन विभाग ने केवल 3,193 को ही नियुक्ति दी। 80-85 अंकों वाले कई अभ्यर्थी अभी भी वेटिंग में हैं और लगातार पदवृद्धि की मांग कर रहे हैं। यह आंकड़ा न केवल भर्ती की सीमाओं को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त कमी को भी।
वर्ग-1 भर्ती 2023 में पदवृद्धि की आवश्यकता को लेकर कई ठोस तर्क हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में राजपत्र दिसंबर 2022 में 34,789 पद और दिसंबर 2024 में 48,223 पद बताए गए, यानी महज दो साल में 13,500 पद बढ़े, बिना किसी भर्ती के। जनजातीय विभाग में भी सालों से हजारों पद खाली हैं। सूत्रों के अनुसार, कुल 48,223 पदों में से केवल 21,000 भरे हैं, बाकी 27,000 रिक्त हैं।
शिक्षकों की कमी ने मध्य प्रदेश की स्कूली शिक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर 5वें से 20वें स्थान तक गिरा दिया है। सेशन 2024-25 में बोर्ड परीक्षा से ठीक पहले 'शिक्षक शेयरिंग' व्यवस्था लागू करनी पड़ी, जहां शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में पास के स्कूलों से अध्यापकों को भेजा गया। इसी सेशन में लाखों बच्चे फेल हुए, जिसका मुख्य कारण शिक्षकों का अभाव ही है।
माननीय न्यायालय ने WP नंबर 18935/18 में स्पष्ट आदेश दिए थे कि 70,000 अतिथि शिक्षक RTE नियमों के विरुद्ध हैं, इसलिए नियमित भर्ती जल्द करें। लेकिन सात साल बाद भी पालन नहीं हुआ। सेशन 2024-25 में 69,663 अतिथि शिक्षक कार्यरत थे, जिनमें वर्ग-1 के 12,610 शामिल हैं। यह स्थिति शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है।
पदवृद्धि के लिए अभ्यर्थियों ने ढाई साल में दर्जन भर से अधिक आंदोलन किए, सड़कों पर दंडवत किया, बाल कटवाए, विधानसभा घेराव किया। रोती हुई महिलाओं ने कहा कि सरकार जानबूझकर अनदेखा कर रही है, इसलिए सामूहिक मुंडन तक का फैसला लिया। ये प्रयास न केवल दृढ़ संकल्प दिखाते हैं, बल्कि सिस्टम में बदलाव की बुलंद आवाज हैं।
सरकारी स्तर पर भी समर्थन मिला है। विधायक, मंत्री और सांसदों ने पदवृद्धि के लिए पत्र लिखे। भारत सरकार की मंत्री डी.डी. उइके, सांसद विवेक बंटी साहू, गणेश सिंह, पूर्व सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने सरकार को पत्र भेजे। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री ने दोनों विभागों को पदवृद्धि के लिए पत्र लिखा, जो वित्तीय कमी न होने का संकेत देता है। कई कैबिनेट मंत्रियों ने मांग को जायज ठहराते हुए आश्वासन दिया, जो सकारात्मक दिशा की ओर इशारा करता है।
.webp)
