यदि किसी स्कूल में एक विषय के लिए शिक्षा का केवल एक पद है और उस पद पर एक शिक्षक पहले से कार्यरत है, लेकिन विभाग का कोई अधिकारी इस पद पर किसी दूसरे शिक्षक को ट्रांसफर करके भेज दे, तो दोनों में से अतिशेष कौन होगा। हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश इस प्रश्न के उत्तर का अनुसंधान कर रहा है।
स्कूल में रिक्त एक पद पर दो शिक्षकों की नियुक्ति हो गई
मामला शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शाहगढ़ जिला सागर का है। इस स्कूल में ग्रेड वन (उच्च माध्यमिक शिक्षक/ लेक्चरर) कक्षा 11-12 के लिए गणित विषय का सिर्फ एक पद है, जो प्रमोशन में रिजर्वेशन विवाद के कारण रिक्त था। दिनांक 17 अगस्त 2024 को स्कूल शिक्षा विभाग की नई पॉलिसी के अनुसार शिक्षक श्री अजीत कुमार जैन को उच्च पद का प्रभार देते हुए गणित विषय की व्याख्याता के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इधर ठीक 1 महीने बाद 17 सितंबर 2024 को एक अन्य शिक्षक श्री मुकेश असाटी को उच्च पद का प्रभाव देते हुए शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, शाहगढ़ जिला सागर में गणित विषय की व्याख्याता के पद पर पदस्थ कर दिया गया।
जिला शिक्षा अधिकारी ने मामला उलझा दिया
इस प्रकार एक पद पर दो व्याख्याता की नियुक्ति हो गई। स्कूल के प्रिंसिपल ने जिला शिक्षा अधिकारी से इस विषय में मार्गदर्शन मांगा। जिला शिक्षा अधिकारी ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए एक पद पर दोनों शिक्षकों की नियुक्ति को मान्य करने के निर्देश दे दिए और इस प्रकार दोनों शिक्षकों का वेतन आहरण होने लगा।
डिपार्टमेंट की गड़बड़ी के कारण उच्च माध्यमिक शिक्षक सरप्लस हो गया
8 महीने बाद में 2025 में, स्कूल शिक्षा विभाग में, अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण शुरू हो गया। स्कूल शिक्षा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार, जो शिक्षक स्कूल में सबसे पुराना होता है, उसको अतिशेष घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार उत्कृष्ट विद्यालय में गणित विषय की व्याख्याता की एक पद के विरुद्ध दो नियुक्ति होने पर, एक शिक्षक का ट्रांसफर किया जाना था। पॉलिसी के अनुसार श्री अजीत कुमार जैन की पोस्टिंग एक महीने पहले हो गई थी इसलिए उनको अतिशेष घोषित कर दिया गया।
स्कूल शिक्षा की ट्रांसफर पॉलिसी की कंडिका 3.2.2 को चुनौती
श्री अजीत कुमार जैन ने अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। उन्होंने बताया कि, भरे हुए पद पर दूसरे शिक्षक का ट्रांसफर करके डिपार्टमेंट ने गलती की है। और सरप्लस स्टाफ पॉलिसी का दुरुपयोग करते हुए, उनको सरप्लस घोषित कर दिया गया है। उनके अधिवक्ता ने न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किया कि, अतिशेष को प्रक्रिया को गवर्न करने वाली कंडिका 3.2.2 ही दोषपूर्ण है। सामान्य प्रशासन की नीति के अनुसार, उसके सारभूत प्रावधानों के विपरीत, स्कूल शिक्षा नीति निर्माण नहीं कर सकता है। GAD मध्य प्रदेश की नीति 2025 के अनुसार, जूनियर व्यक्ति को अतिशेष घोषित किया जायेगा।
हाई कोर्ट इस बात से सहमत हो गया कि, विवाद की स्थिति है और मामला सुनवाई के योग्य है। शासन का पक्ष जानने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा नोटिस जारी किया गया है और जब तक इस याचिका का फैसला नहीं हो जाता है तब तक श्री अजीत कुमार जैन को अतिशेष घोषित किए जाने वाले आदेश को स्थगित कर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में पैरवी अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने की।
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