समंदर से उठी उम्मीद की हवा: 2030 तक तीन गुना बढ़ेगी दुनिया की ऑफशोर विंड क्षमता

जलवायु संकट के इस दौर में, जब ज़मीन पर कई एनर्जी प्रोजेक्ट्स सुस्त पड़ रहे हैं, एक उम्मीद की हवा समंदर से उठ रही है। Ember की नई रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में ऑफशोर विंड पावर 2030 तक तीन गुना बढ़ने की राह पर है, भले ही अमेरिका में हाल की अनिश्चितताओं ने इस सेक्टर पर कुछ छाया डाली हो।यह विश्लेषण Ember और Global Offshore Wind Alliance (GOWA) ने मिलकर किया है, जो दिखाता है कि दुनिया के ज़्यादातर देश अब भी ऑफशोर विंड को भविष्य की ऊर्जा व्यवस्था का अहम स्तंभ मान रहे हैं। 

27 देश, 27 राज्य और 3 क्षेत्र, हवा की दिशा तय कर रहे हैं

रिपोर्ट के मुताबिक़, आज की तारीख़ में 27 देशों, 27 सब-नेशनल गवर्नमेंट्स और 3 क्षेत्रों के पास स्पष्ट ऑफशोर विंड टारगेट मौजूद हैं। इन लक्ष्यों का कुल जोड़ 2030 तक 263 गीगावाट (GW) बनता है, और इसमें चीन का लक्ष्य अभी शामिल नहीं है। यूरोप अब भी इस दौड़ में सबसे आगे है, जहाँ 15 देशों ने 99 GW के ऑफशोर विंड टारगेट तय किए हैं। 

एशिया तेज़ी से पीछे-पीछे चल रहा है, भारत ने 30 से 37 GW, जापान ने 41 GW (जिसमें 15 GW फ्लोटिंग ऑफशोर विंड) और दक्षिण कोरिया, ताइवान व वियतनाम ने मिलकर 41 GW का क्षेत्रीय लक्ष्य तय किया है।

चीन ने बढ़ाई रफ्तार, बाकी दुनिया को भी दी प्रेरणा

20 अक्टूबर को बीजिंग डिक्लेरेशन 2.0 के तहत चीन ने घोषणा की कि 2026 से 2030 के बीच हर साल कम से कम 15 GW नई ऑफशोर विंड क्षमता जोड़ी जाएगी। यह पहले की तुलना में लगभग दोगुनी गति है, क्योंकि 2021-2025 के दौरान यह औसत सिर्फ़ 8 GW प्रति वर्ष था। चीन के 11 तटीय प्रांतों ने पहले ही 2025 तक 64 GW के टारगेट तय किए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि एशिया अब इस रेस का केंद्र बन रहा है।

अमेरिका में सुस्ती, पर दुनिया की गति बरकरार

रिपोर्ट यह भी मानती है कि अमेरिका में हाल की नीतिगत अनिश्चितताओं और बाज़ार की चुनौतियों से ऑफशोर विंड विकास की रफ़्तार कुछ धीमी हुई है। हालाँकि अमेरिका ने 2030 तक 30 GW का राष्ट्रीय लक्ष्य कायम रखा है, फिर भी नीति-स्तर पर उलटफेर ने उस पर संदेह पैदा किया है। फिर भी 11 अमेरिकी राज्यों ने मिलकर 84 GW के लक्ष्य तय किए हैं, और 2025 से 2029 के बीच 5.8 GW नई क्षमता जुड़ने की उम्मीद है। यानि देश-स्तर पर सुस्ती है, पर राज्य-स्तर पर रफ्तार बनी हुई है।

अब नई हवाओं की दिशा तय करने का वक्त है

Ember के चीफ़ एनालिस्ट डेव जोन्स ने कहा, “ऑफशोर विंड पहले ही दुनिया भर में 83 GW बिजली दे रही है, जो 7.3 करोड़ घरों को रोशन करने के बराबर है। जो देश अब भी सोच रहे हैं कि लक्ष्य बढ़ाएँ या नहीं
उनके लिए संदेश साफ़ है: यही सही समय है, ताकि अगली विकास लहर पकड़ी जा सके।”

वहीं GOWA की हेड ऑफ सेक्रेटेरिएट अमीशा पटेल ने कहा, “हाल की चुनौतियों के बावजूद ऑफशोर विंड एनर्जी के बुनियादी आधार मज़बूत हैं। यह तकनीक अब साबित हो चुकी है, और वैश्विक क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन के लिए अनिवार्य है। COP30 की ब्राज़ील प्रेसीडेंसी से हमारी उम्मीद है कि अब महत्वाकांक्षा से आगे बढ़कर लागू करने की दिशा में कदम उठाए जाएँ।”

भारत के लिए क्या मायने हैं

भारत ने 2030 तक 30–37 GW के ऑफशोर विंड टारगेट तय किए हैं, और सरकार गुजरात तथा तमिलनाडु तटों पर शुरुआती परियोजनाओं की योजना बना चुकी है। यह रिपोर्ट भारत के लिए भी संकेत है कि अगर नीति समर्थन और निवेश माहौल मज़बूत हुआ, तो ऑफशोर विंड देश के क्लीन एनर्जी पोर्टफोलियो का अगला बड़ा अध्याय बन सकता है।

कहानी का सार: समंदर की हवा से उभरेगी नई ताक़त

2030 की दुनिया शायद अलग दिखे, जहाँ समंदर के किनारे सिर्फ़ लहरें नहीं, बल्कि बिजली की टर्बाइनें भी घूम रही होंगी। ऑफशोर विंड अब सिर्फ़ एक ऊर्जा तकनीक नहीं, एक भरोसे का संकेत बन गई है, कि जब धरती पर जगह कम पड़ने लगे, तो इंसान समंदर से भी रोशनी खींच सकता है।
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