राजेश जयंत, उज्जैन: शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर महाकाल की नगरी उज्जैन ने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। सप्तमी तिथि पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में 25,000 से अधिक कन्याओं का सामूहिक पूजन किया गया, जिसे Golden Book of World Records में दर्ज किया गया।
गणेश उत्सव महाआयोजन समिति की पहल
उज्जैन में गणेश उत्सव महाआयोजन समिति ने इस भव्य आयोजन का नेतृत्व किया। समिति ने नवरात्रि के पावन अवसर पर 121 स्थानों पर एक साथ कन्या पूजन संपन्न कराया। कार्यक्रम में शामिल होकर मुख्यमंत्री सहित अनेक जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने बेटियों के पूजन का सौभाग्य प्राप्त किया। आयोजकों का कहना है कि यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि बेटियों के सम्मान और संरक्षण का संदेश है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया पूजन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं उज्जैन के बीडी क्लॉथ मार्केट स्थित स्थल पर पहुँचे और कन्या पूजन में भाग लिया। उन्होंने कहा कि “माता के आशीर्वाद से ही बेटियाँ हमारे समाज की संस्कृति और शक्ति का प्रतीक हैं। उज्जैन ने जो कीर्तिमान रचा है, वह समूचे प्रदेश और देश के लिए गौरव की बात है।”
1.5 लाख से अधिक लोग बने साक्षी
कार्यक्रम में केवल कन्याओं ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में आमजन भी शामिल हुए। अनुमानतः 1.5 लाख से अधिक लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। पूरे शहर में भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिला।
13 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन
आयोजन समिति ने स्पष्ट किया कि पूजन के लिए 13 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित किया गया था। उन्हें ‘माँ दुर्गा के स्वरूप’ के रूप में सम्मानित करते हुए नए वस्त्र, चुनरी, पूजन सामग्री और प्रसादी भेंट की गई।
Golden Book of World Records ने दी मान्यता
इस आयोजन को Golden Book of World Records की टीम ने स्थल पर आकर प्रमाणित किया। उन्होंने दस्तावेज़ीकरण और आधिकारिक सत्यापन के बाद इसे “एक साथ सबसे अधिक कन्याओं के पूजन का रिकॉर्ड” घोषित किया।
धार्मिक आस्था और सामाजिक संदेश
आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक श्रद्धा व्यक्त करना था, बल्कि बेटियों के सम्मान और संरक्षण का संदेश भी समाज तक पहुँचाना था। आयोजकों ने कहा कि उज्जैन का यह रिकॉर्ड दुनिया को यह दिखाता है कि भारत में आज भी नारी को शक्ति और श्रद्धा का स्वरूप माना जाता है।
नवरात्रि की भक्ति, सांस्कृतिक परंपरा और सामाजिक संदेश का अद्भुत संगम उज्जैन में देखने को मिला। 25,000 कन्याओं के सामूहिक पूजन से महाकाल की नगरी ने एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया, जिसने न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश को गर्वान्वित किया है।