मध्य प्रदेश में फसल उत्पादन के लिए आवश्यक DAP उर्वरक के आयात में कमी के कारण बनाई जा रही कृत्रिम कमी और कुप्रबंधन के कारण किसानों को वैकल्पिक SSP खाद की ओर धकेला जा रहा, लेकिन मेरा दावा हैं कि मध्य प्रदेश मे बिक्री होने वाला SSP खाद 90% तक अमानक है। नियम अनुरूप SSP मे 16% फॉस्फेट की जगह मिट्टी, रेत और घुलनशील अपशिष्ट से भरे जा रहे हैं।
पॉलीटिकल प्रेशर में कृषि विभाग द्वारा किसानों से धोखा
मध्य प्रदेश मे DAP कि कमी के चलते वैज्ञानिक, कृषि विभाग और सरकार किसानों को SSP उर्वरक डालने के लिए प्रेरित कर रहे जबकि वितरण किए जा रहे SSP की गुणवत्ता जाँच के नाम पर सिर्फ विभाग की कमाई और किसानों का शोषण हो रहा हैं। जिला स्तर पर कृषि विभाग का काम गुणवत्ता नियंत्रण की जिम्मेदारी हैं किन्तु विभाग की कंपनियों के साथ मिलीभगत, राजनैतिक दबाब के कारण की सैंपलिंग प्रक्रिया निष्प्रभावी हो चुकी है। जिसमे कारण अमानक उर्वरको के नमूने बदले जाते हैं या लैब में ‘पास’ करवा दिए जाते हैं। जिससे प्रदेश मे अमानक खाद भी मानक का झूठा प्रमाण पत्र लेकर खुलेआम बिक्री किया जा रहा हैं।
मध्य प्रदेश मे के. फ़र्टिलाइज़र कम्पनी पहले मोबाइल लैबें गुणवत्ता परिक्षण के लिए चलाती थी जो पहले गाँवों में जाकर खाद की गुणवत्ता जाँचा करती थीं, अब या तो बंद करवा दी गई, जिससे मिलावटखोरों को बेखौफ किसानों को अमानक SSP बेचने का खुला मैदान मिल गया है।
में मुख्यमंत्री महोदय से मांग करता हूं कि सभी SSP ब्रांडों और सहकारी विभाग द्वारा वितरित खाद के नमूनों का मीडिया और भाजपा के किसान नेताओं के समाने प्रदेश मे बिक्री होने वाले SSP के सैम्पल प्रत्येक जीके के सरकारी बिक्री केंद्रों से किसान प्रतिनिधि, मीडिया के द्वारा लाए गए नमूनों का गुणवत्ता परीक्षण कराया जाए, मेरा दावा हैं की 90% SSP अमानक है। यदि अमानक निकले तो तत्काल बिक्री पर रोक और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
यह मामला केवल उर्वरक की गुणवत्ता का नहीं, यह किसानों की मेहनत, उनकी जीविका और प्रदेश की कृषि आत्मनिर्भरता के साथ साथ सरकार की विश्वाशनीयता, निष्ठा और कार्यशैली का प्रश्न है। जब तक सरकार स्पष्ट और पारदर्शी कार्रवाई नहीं करती, तब तक किसान प्रशासनिक जाल में फँसे रहेंगे।
आज प्रदेश का किसान उर्वरक संकट मे फंसा हैं, सरकार, विभाग और किसान सभी परेशान हैं जबकि DAP उर्वरक की कमी का विकल्प SSP हमारे पास उपलब्ध हैं मगर अमानक होने के कारण SSP शोषण का ज़रिया बन गया हैं। “अब किसानों का शोषण बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार को तय करना होगा वह किसानों के साथ है या अमानक व्यवस्था के साथ।”
केदार सिरोही,
पूर्व सदस्य, कृषि सलाहकार परिषद, मध्य प्रदेश शासन
मोबाइल: 9669800050