यह समाचार उन लोगों के लिए गुड न्यूज़ है जो मध्य प्रदेश में शांति और तरक्की चाहते हैं लेकिन उन लोगों के लिए बुरी खबर है जो जातिवाद की राजनीति करना चाहते हैं। मध्य प्रदेश में जातिवाद लगातार खत्म होता जा रहा है। अब केवल 6.51% क्षेत्र में जातिवाद का संघर्ष बचा हुआ है। पुलिस ने इसे भी खत्म करने के लिए नवीन आदेश जारी कर दिए हैं।
मध्य प्रदेश के 32 जिलों में जातिवाद का नामोनिशान तक नहीं
मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार, 968 में से 63 (6.51%) पुलिस थाना क्षेत्र को संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है।। यह सभी क्षेत्र मध्य प्रदेश के 55 में से 23 जिलों में आते हैं। इसका मतलब हुआ कि मध्य प्रदेश के 32 जिले ऐसे हैं जहां पर जातिवाद का नामोनिशान तक नहीं है। 23 जिलों में भी सिर्फ 63 पुलिस थाना क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर जातिवाद को लेकर संघर्ष होता है। मध्य प्रदेश पुलिस ने इन सभी 23 जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया है कि वह संबंधित थाना क्षेत्र में ऐसे पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को तैनात करें जो जातिगत संघर्ष की स्थिति को नियंत्रित करने में अनुभव भी हों और क्राइम कंट्रोल करने में सक्षम हों।
मध्य प्रदेश के इन 23 जिलों में थोड़ा बहुत जातिवाद
मंडला, बालाघाट, विदिशा, धार, खंडवा, इंदौर, मुरैना, भिंड, देवास, शाजापुर, मंदसौर, नर्मदा पुरम, बैतूल, रायसेन, जबलपुर, गुना, शिवपुरी, अशोक नगर, ग्वालियर, सागर, दमोह, छतरपुर, और टीकमगढ़ ऐसे जिले हैं जहां पर थोड़ा बहुत जातिवाद बचा है। यह पॉलिटिक्स की नहीं बल्कि समाज की स्पष्ट तस्वीर है। इन इलाकों में सरकारी रिकॉर्ड में जातिवाद से संबंधित संघर्ष दर्ज किया गया है, लेकिन अच्छी बात है कि 2021 से लेकर 2023 के बीच में इन सभी इलाकों में 300 मामलों की कमी आई है।
मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी किए गए परिपत्र में उपरोक्त 23 जिलों के उन मोहल्ला कॉलोनीयों के नाम भी दर्ज हैं, जहां पर 2021 से 2023 के बीच कम से कम एक बार जातिवाद को लेकर संघर्ष की स्थिति बनी, लेकिन हम उन इलाकों के नाम प्रकाशित नहीं कर रहे हैं क्योंकि हम नहीं चाहते कि किसी भी प्रकार के अपराधी को कोई प्रोत्साहन मिले, अथवा वह सुर्खियों में आए। बल्कि हम चाहते हैं कि उपरोक्त 63 थाना क्षेत्र से भी जातिगत संघर्ष पूरी तरह से समाप्त हो जाए। रिपोर्ट: उपदेश अवस्थी।