भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी की याचिका का निपटारा करते हुए व्यवस्था स्थापित की, कि सरकारी कर्मचारी LLB evening course की पढ़ाई करके रिटायरमेंट के बाद वकालत कर सकते हैं। स्टेट बार काउंसिल उनके रजिस्ट्रेशन से इनकार नहीं कर सकती और ना ही उनके रजिस्ट्रेशन के लिए किसी अतिरिक्त फीस की डिमांड कर सकती है। यह महत्वपूर्ण फैसला Justice N Nagaresh द्वारा किया गया।
पार्ट टाइम एवं इवनिंग क्लास एलएलबी डिग्री कोर्स का मामला
मामला केरल का है। एक सरकारी कर्मचारियों ने सन 1995 में LLB evening course की पढ़ाई करके डिग्री हासिल कर ली थी। रिटायरमेंट के बाद उसने केरल बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया परंतु उसके आवेदन को निरस्त कर दिया गया। बाद में ₹60,400 रजिस्ट्रेशन फीस मांगी गई। स्टेट बार काउंसिल के इस फैसले के खिलाफ रिटायर्ड कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की और न्याय की मांग की। रिटायर्ड कर्मचारियों ने अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन फीस माफ करने, स्टेट बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करने और पार्ट टाइम अथवा इवनिंग एलएलबी डिग्री कोर्स की पढ़ाई करने वाले लोगों के लिए, रजिस्ट्रेशन का अलग से विंडो बनाने की मांग की।
स्टेट बार काउंसिल द्वारा सुप्रीम कोर्ट को बताया गया की मार्कशीट पर "पार्ट टाइम या इवनिंग" जैसे शब्द नहीं होते। एलएलबी की सभी प्रकार की डिग्री एक समान होती है। इसलिए अलग से किसी रजिस्ट्रेशन विंडो की जरूरत नहीं है। विद्वान न्यायाधीश Justice N Nagaresh इस बात से सहमत हुए और आदेश दिया कि स्टेट बार काउंसिल अपनी निर्धारित 750 रुपए फीस लेकर रिटायर्ड कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन करें और उसे एक अधिवक्ता के तौर पर विधि व्यवसाय करने की अनुमति प्रदान करे।