मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक शासकीय कर्मचारी को बर्खास्त कर दिए जाने के मामले में डिसीजन सुनाते हुए कहा कि, किसी कर्मचारी को केवल इसलिए बर्खास्त नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने दूसरी शादी कर ली है। गवर्नमेंट एम्पलाई का टर्मिनेशन उसकी परफॉर्मेंस के आधार पर होना चाहिए।
कर्मचारी ने बीमार पत्नी की सेवा के लिए दूसरी शादी की थी
मामला इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवान जोगेंद्र सिंह का है। जोगेंद्र सिंह वर्ष 1990 में आईटीबीपी में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। उनकी पहली पत्नी सरला देवी लंबे समय से बीमार थीं और घरेलू कार्यों में असमर्थ थीं। इन परिस्थितियों में, उन्होंने 1995 में पहली पत्नी की सहमति से दूसरी शादी की थी। विभाग ने 2005 में जोगेंद्र सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 2008 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। विभाग द्वारा उनकी अपील खारिज किए जाने के बाद, यह मामला 2008 में हाईकोर्ट पहुंचा, जहां 17 साल बाद उनकी याचिका पर फैसला सुनाया गया।
कर्मचारियों ने 18 साल की सेवा में कोई गलती नहीं की थी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डीपी सिंह ने दलील दी कि जवान ने लगभग 18 वर्ष तक सेवा की और इस दौरान कभी अपने कर्तव्य की उपेक्षा नहीं की। उन्होंने बताया कि पहली पत्नी ने स्वयं शपथपत्र देकर दूसरी शादी के लिए सहमति दी थी। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि केवल दूसरी शादी के आधार पर नौकरी से निकालना न्यायसंगत नहीं है, खासकर जब इससे जवान का परिवार आर्थिक संकट में आ गया हो।
न्यायालय ने माना कि अनुशासन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन सजा तय करते समय कर्मचारी की सेवा अवधि और परिस्थितियों पर भी विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने विभाग को निर्देश दिया है कि दो माह के भीतर नियमों के तहत पुनः विचार कर उपयुक्त दंड निर्धारित करें। जवान जोगेंद्र सिंह पहले ही 17 साल 10 महीने की बर्खास्तगी की सजा काट चुके हैं।