M/s Engineers Academy, Bhopal के खिलाफ MP State Consumer Disputes Redressal Commission ने बड़ा फैसला दिया है। मध्य प्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इंजिनियर्स अकैडमी के डायरेक्टर को आदेश दिया है कि वह एक महीने के भीतर स्टूडेंट की फीस वापस करें। इसके अलावा क्षतिपूर्ति, वकील की फीस और कोर्ट केस में खर्च हुआ पूरा पैसा अदा करे।
कोचिंग वालों ने सिलेक्शन की गारंटी दी थी, 2009 में 1.80 लाख लिए थे
राजधानी भोपाल के इंडस टाउन इलाके में रहने वाले जीके रावत ने मेसर्स इंजीनियर्स एकेडमी के डायरेक्टर के खिलाफ साल 2011 में जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था। इसमें बताया गया की सन 2009 में उपभोक्ता और कोचिंग सेंटर के बीच एडमिशन के वक्त एक अनुबंध हुआ था। इसके तहत उपभोक्ता को विश्वास दिलाया गया था कि विद्यार्थी IIT और AIEEE परीक्षा में सफलता प्राप्त करेगा। साथ ही करार में यह भी लिखा गया था कि यदि स्टूडेंट इन दोनों परीक्षाओं में सफल नहीं होता है तो 3 माह के अंदर कोचिंग सेंटर, उपभोक्ता को एक लाख की राशि वापस करेगा। इस आधार पर साल 2009 में उपभोक्ता ने कोचिंग सेंटर को 1 लाख 80 हजार का भुगतान किया। 12वीं के बाद स्टूडेंट ने प्रयास किया, लेकिन दोनों ही परीक्षाओं में असफल रहा। जब उपभोक्ता ने पैसा वापस मांगा तो कोचिंग सेंटर द्वारा यह राशि नहीं दी गई।
1.10 लाख के अलावा क्षतिपूर्ति और कोर्ट केस का खर्चा भी देना होगा
उपभोक्ता के वकील एमए सिद्दीकी ने बताया कि "बीते हफ्ते सुनाए निर्णय में राज्य उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष सुनीता यादव और सदस्य डॉ. श्रीकांत पांडेय की बेंच ने साल 2013 में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिए फैसले को यथावत रखा है। इसके अनुसार कोचिंग सेंटर संचालकों को उपभोक्ता के 1 लाख 10 हजार रुपए के साथ मानसिक क्षतिपूर्ति और साथ ही संपूर्ण परिवाद व्यय 1 माह के भीतर चुकाने के आदेश दिए हैं।"