इकोसिस्टम, जिसे हिंदी में पारिस्थितिकी तंत्र या पारितन्त्र कहते हैं, प्रकृति में सभी जीव-जंतुओं की एक-दूसरे पर निर्भरता को दर्शाता है। पिछले कुछ सालों से वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस बात को लेकर गंभीर अलर्ट दे रहे हैं कि इकोसिस्टम खतरे में है। यहां मैं आपको सरल हिंदी में समझाऊंगा कि इकोसिस्टम का हिंदी अर्थ क्या है और यह मेरे और आपके जीवन को किस प्रकार से प्रभावित करता है:-
पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ और कार्यप्रणाली:
वैज्ञानिकों के अनुसार, पारिस्थितिकी तंत्र का मतलब है कि सभी जीव-जंतु एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है:
- छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े पेड़-पौधों को खाते हैं।
- चिड़िया इन कीड़े-मकोड़ों को खा जाती है।
- कुछ शिकारी पक्षी और जानवर चिड़ियों को खाते हैं,
- और शेर बड़े जानवरों को खाता है।
- इस प्रकार, सभी जीव एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
यदि इनमें से कोई एक भी जीव समाप्त हो जाता है, तो दूसरा भूख से मर जाएगा और धीरे-धीरे पृथ्वी पर सभी जीव-जंतु खत्म हो जाएंगे। सभी प्राणियों को एक दूसरे पर निर्भर कर देना, प्रकृति के इसी सिस्टम को इकोसिस्टम कहते हैं।
इकोसिस्टम का मनुष्यों पर प्रभाव - चीन का उदाहरण:
इकोसिस्टम में गड़बड़ी का मनुष्यों पर सीधा असर पड़ता है। जैसा कि आप जानते हैं, चिड़ियाएं कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसलों की रक्षा करती हैं। सन 1958 में चीन में एक वैज्ञानिक की सलाह पर गौरैया चिड़ियाओं को खत्म कर दिया गया, यह मानकर कि वे फसलें खाती हैं। परिणामस्वरूप, फसलों का उत्पादन बढ़ने के बजाय ऐतिहासिक रूप से कम हो गया, जिससे लगातार 2 साल तक अकाल पड़ा और ढाई करोड़ लोग भूख से मर गए। यह घटना मनुष्यों द्वारा प्रकृति के इकोसिस्टम को डिस्टर्ब करने की क्या परिणाम होते हैं, इस बात के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक है।
सरल शब्दों में, इकोसिस्टम को डिस्टर्ब करने का अर्थ है पृथ्वी से मनुष्य की प्रजाति को खत्म करना। वैज्ञानिक खत्म हुई किसी भी प्रजाति को फिर से जीवित नहीं कर सकते, और न ही वे प्रकृति का नया रूप बना सकते हैं; वे केवल प्रकृति का अध्ययन करके मनुष्यों के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकते हैं।
इकोसिस्टम के मुख्य घटक:
इकोसिस्टम के मुख्य घटकों में मिट्टी, सभी पेड़-पौधे, कीड़े-मकोड़े, जीव-जंतु, वायरस-बैक्टीरिया, जानवर, और अंत में मनुष्य शामिल हैं। ये सभी मिलकर प्रकृति बनाते हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
पारिस्थितिकी के जनक:
Eugene Pleasants Odum को पारिस्थितिकी का जनक कहा जाता है। वह जॉर्जिया विश्वविद्यालय में एक अमेरिकी जीवविज्ञानी थे और पारिस्थितिकी तंत्र पर अपने अग्रणी कार्य के लिए जाने जाते थे। उन्होंने और उनके भाई हॉवर्ड टी. ओडुम ने लोकप्रिय पारिस्थितिकी पाठ्यपुस्तक, "फंडामेंटल्स ऑफ इकोलॉजी (1953)" लिखी।उनके सम्मान में ओडुम स्कूल ऑफ इकोलॉजी का नाम रखा गया है। वह अंग्रेजी भाषा में पृथ्वी के प्राणियों और उनके पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन करके शोध रिपोर्ट प्रस्तुत करने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे।
भारत में डॉ. रामदेव मिश्र को पारिस्थितिकी के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने वर्ष 1956 में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर ट्रॉपिकल इकोलॉजी की स्थापना की थी। गौरतलब है कि संस्कृत सहित कई भाषाओं में कई वैज्ञानिकों ने वर्षों पहले इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया था, लेकिन उन्हें वैज्ञानिक मान्यता नहीं मिली, इसलिए उनके अध्ययनों को रिकॉर्ड नहीं किया गया।
मनुष्यों द्वारा इकोसिस्टम को डिस्टर्ब करने के तरीके और परिणाम:
मनुष्य विभिन्न तरीकों से इकोसिस्टम को बाधित कर रहे हैं, जिसके गंभीर परिणाम हो रहे हैं:
• मोबाइल फोन की तरंगों से चिड़ियाएं मर रही हैं।
• चिड़ियाओं के मरने से कीड़े-मकोड़ों की संख्या बढ़ रही है।
• ये कीड़े-मकोड़े पेड़-पौधों और फसलों को नष्ट कर रहे हैं।
• फसलों को बचाने और कीड़ों को मारने के लिए रसायनों का उपयोग करना पड़ रहा है।
• यह केमिकल मिट्टी से होते हुए जमीन के नीचे पानी में मिल रहे हैं।
• इसके कारण पानी दूषित होता जा रहा है।
• दूषित पानी के कारण गाय और भैंस का दूध भी हानिकारक हो रहा है।
• दूषित पानी के कारण फसलों से प्राप्त अनाज, सब्जियां और फल भी दूषित हो रहे हैं।
भले ही हम पानी को RO से और दूध को पाश्चुरीकरण करके ठीक कर लें, लेकिन दूषित अनाज, सब्जियों और फलों का क्या करेंगे? वर्तमान में इनमें जहरीले तत्वों की संख्या कम है, लेकिन भविष्य में यह बढ़ सकती है, जिससे खाद्य पदार्थ भी जानलेवा हो जाएंगे। परिणामस्वरूप, एक दिन सारे विकल्प खत्म हो जाएंगे और पृथ्वी पर करोड़ों मृत शरीर के पास स्मार्टफोन पड़े रह जाएंगे।
क्या इकोसिस्टम खत्म होने से पृथ्वी नष्ट हो जाएगी?
• पृथ्वी पर कई प्रकार के इकोसिस्टम होते हैं। यदि "अपना" इकोसिस्टम (यानी जिसमें मनुष्य शामिल हैं) खत्म हो जाता है, तो केवल इस इकोसिस्टम में शामिल सभी घटक नष्ट हो जाएंगे। लेकिन पृथ्वी का सबसे बड़ा इकोसिस्टम महासागर पारिस्थितिकी तंत्र है। वह खत्म नहीं हुआ है। करोड़ों साल पहले समुद्र में से ही जीवन की शुरुआत हुई थी। यदि हमारा इकोसिस्टम खत्म हो गया, तो पृथ्वी नष्ट नहीं होगी। एक लंबी प्रक्रिया के बाद, महासागर पारिस्थितिकी तंत्र फिर से कोई नया जीवन बना सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित है कि वह जीवन अपने जैसे इंसान नहीं होंगे, जैसे करोड़ों साल पहले डायनासोर खत्म हुए तो फिर उनके जैसे डायनासोर कभी पैदा नहीं हुए।
वैज्ञानिक कौन से घटक पुनर्जीवित नहीं कर सकते?
स्रोतों के अनुसार, वैज्ञानिक कुछ महत्वपूर्ण घटकों को पुनर्जीवित या निर्मित नहीं कर सकते हैं:
• खत्म हुई किसी भी प्रजाति को फिर से जीवित नहीं कर सकते।
• नया पर्यावरण और नई प्रकृति नहीं बना सकते।
• यहां तक कि वैज्ञानिक पानी का फार्मूला जानने के बावजूद अपनी लैब में पानी नहीं बना सकते।
वैज्ञानिक केवल प्रकृति का अध्ययन करके मनुष्यों के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकते हैं। वैज्ञानिक इस प्रकृति पर मौजूद एक छोटा सा अंश इकोसिस्टम के बिना स्वयं नहीं बना सकते।
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