Criminal law - प्राणों की रक्षा के लिए हमलावर का वध करने का अधिकार, जानिए

Bhopal Samachar
Bharatiya Nyaya Sanhita,2023 की धारा 34 एवं 35 बताती है कि, आप Attackers पर उतने ही Force का प्रयोग कर सकते हैं जितना की assault करने वाला व्यक्ति कर रहा है। यदि आपने ज्यादा बल का प्रयोग किया तो Bharatiya Nyaya Sanhita की धारा 37 के अंतर्गत आपका कोई rescue नहीं होगा, लेकिन एक धारा ऐसी भी है जो आपको Lives की protect के लिए Attackers का वध कर देने का अधिकार देती है।

Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 38 की परिभाषा:-

अगर कोई Attackers इन Objective के लिए किसी व्यक्ति पर हमला (assault)करता है, तब व्यक्ति स्वयं के rescue के लिए के लिए Immunity का rescue कर सकता है।
1. जब किसी व्यक्ति को Death या Serious injury पहुंचने की तुरंत आशंका हो तब वह अपनी प्ररिरक्षा के अधिकार (rights of protection)का प्रयोग करते हुए Attackers की Death तक कर सकता है।
2. कोई व्यक्ति किसी Woman के साथ Rape करने के आशय से उस पर assault करता है तब Woman अपने बचाव के लिए Attackers की Death तक कर सकती है।
3. kidnapping or abduction करने के आशय से हमले का resistance करते हुए Attackers की मृत्यु हो जाती है तब यह Crime नहीं होगा।
4. जब किसी व्यक्ति को यह apprehension है कि उस पर assault किया गया है एवं उसे ऐसे समय में न तो कोई Police की Help मिल रही है न ही कोई civil servant से Contact हो पा रहा है तब व्यक्ति Self Defense के लिए attacker की Death तक कर सकता है।
5. अगर attacker किसी व्यक्ति पर Acid Attack करने वाला है या आशंका है तब व्यक्ति ऐसे Attackers की Death तक कर सकता है।

Know important judgments:-

1. Ajit Singh vs State of Punjab मामला-: आरोपी deceased को गालियाँ दे रहा था जबकि मृतक (deceased)अपने पास खतरनाक हथियार रखे था जिससे वह आरोपी पर वार कर रहा था। मृतक के हमले के परिणामस्वरूप (As a result) अपनी Death के Fear से accused ने deceased पर बल्लम से वार कर दिया जिससे उसकी Death हो गई। Supreme Court ने आरोपी को आईपीसी की धारा 100 (अब BNS की धारा 38) के अंतर्गत निजी प्रतिरक्षा का बचाव स्वीकार करते हुए दोषमुक्त कर दिया।

2. Kishanchand and others vs. State of Uttar Pradesh मामले मे Supreme Court ने कहा कि Private property के लिए Immunity का बचाव उपलब्ध होगा, भले ही संपत्ति विवादित, खुली land or plot हो, लेकिन वह युक्तियुक्त होना चाहिए।

3. Yashwant Kamath vs State मामले मे मृतक व्यक्ति था, जो accused को हमेशा Narrow करता रहता था। एक Night उसने accused को दबोच लिया और उसकी पिटाई करते हुए कहा कि आज तो तुझे मार ही डालूंगा। मृतक से भय खाकर कि वास्तव में वह उसे मार ही डालेगा, accused ने पास गढ़ा खूँटा उखाड़ लिया और मृतक के सिर पर दे मारा, जिससे उसकी Death हो गई। मामले की परिस्थितियों को देखते हुए court of justice ने अभिनिर्धारित किया कि accused द्वारा अपनी private defence के rights का Encroachment नहीं किया गया था क्योकि उसकी Death के Fear की apprehension थी। 

✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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