जबलपुर: अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड द्वारा विभिन्न नियमित पदों पर सीधी भर्ती हेतु दिनांक 24 जून 2025 को विज्ञापन जारी किया गया। उक्त विज्ञापन में सहायक अभियंता के 42 पद, विधि अधिकारी का 1 पद, कनिष्ठ अभियंता के 114 पद, कनिष्ठ अभियंता सिविल के 10 पद, लाइन परिचारक के 20 पद, उपकेंद्र परिचारक के 158 पद तथा सर्वेयर परिचारक के 8 पदों की सीधी भर्ती हेतु विज्ञापन जारी किया गया।
उक्त विज्ञापन में एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस को शैक्षणिक योग्यता में 10% की छूट दी गई है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को अनारक्षित वर्ग के समान 65% अंक निर्धारित किए गए हैं, अर्थात ओबीसी वर्ग को किसी भी प्रकार की छूट का उल्लेख विज्ञापन में नहीं किया गया है, जबकि कानून में छूट देने का प्रावधान मौजूद है। उक्त विज्ञापन की संवैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले टीकमगढ़ निवासी सौरभ सिंह लोधी ने आरपीएस लॉ एसोसिएट के माध्यम से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक WP/31114/2025 दाखिल की। इसकी प्रारंभिक सुनवाई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ द्वारा की गई। प्रारंभिक सुनवाई पर याचिकाकर्ता को भर्ती में शामिल किए जाने का अंतरिम आदेश पारित किया गया।
याचिका में आज दिनांक 14/8/2025 की सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से ओबीसी वर्ग को छूट न दिए जाने के संबंध में मध्य प्रदेश शासन के राजपत्र दिनांक 28/8/2002 का हवाला दिया गया, जिसमें एससी, एसटी को छूट दिए जाने का उल्लेख है। जबकि सामान्य प्रशासन विभाग ने 1995 में अधिसूचना जारी करके ओबीसी वर्ग को एससी, एसटी के समान छूट प्रदान करने का निर्देश जारी किया था। सुनवाई के दौरान कंपनी द्वारा हाईकोर्ट को भ्रमित करने का प्रयास किया गया। इसका प्रतिवाद करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि जिस अधिसूचना का कंपनी द्वारा हवाला दिया जा रहा है, उसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि ओबीसी को छूट नहीं दी जाएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कंपनी के आचरण को ओबीसी विरोधी बताते हुए कहा कि कंपनी का जिम्मेदार अधिकारी, जिसने उक्त विज्ञापन आरक्षण कानून एवं नियमों के विपरीत जारी कराया, वह व्यक्तिगत रूप से आरक्षण अधिनियम की धारा 6(2) के तहत आपराधिक कृत्य का जिम्मेदार है, जिसमें एक वर्ष की सजा का प्रावधान है। अधिवक्ता ने यह भी कहा कि कंपनी शपथ पत्र दाखिल करके दस्तावेज प्रस्तुत करे कि ओबीसी को छूट का कानून में कोई प्रावधान नहीं है। इसके साथ ही यह भी बताए कि किन नियमों के तहत ईडब्ल्यूएस को 10% की छूट दी गई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता के तर्कों को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने कंपनी को शपथ पत्र दाखिल करने हेतु एक सप्ताह का समय दिया। अगली सुनवाई 22/8/2025 नियत की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, हितेंद्र गोहलानी और अभिलाषा सिंह लोधी ने की।