मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ के बाद उत्तराखंड के हादसे ने चिंता की स्थिति पैदा कर दी है। क्या मानसून जीवन के लिए इतना खतरनाक हो गया है। क्या दूसरे दौर का मानसून, पिछले दौर से ज्यादा हानिकारक होगा। इन सभी आशंकाओं के बीच मध्य प्रदेश को बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उज्जैन महाकाल में एक विश्लेषण अनुष्ठान का आयोजन किया। 66 पुजारियों द्वारा यह धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करवाया गया। पहले समाचार पढ़िए फिर हम बताएंगे कि, पर्जन्य अनुष्ठान क्या होता है, और किन परिस्थितियों में राजा द्वारा पर्जन्य अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है।
उज्जैन, इंदौर, देवास क्षेत्र में वर्षा के लिए महारुद्र पाठ
एक तरफ पूर्वी मध्य प्रदेश में अत्यधिक बारिश हुई और कई इलाकों में बाढ़ के कारण नुकसान हुआ तो दूसरी तरफ पश्चिम मध्य प्रदेश मालवा क्षेत्र विशेषकर उज्जैन, इंदौर, देवास और आसपास के इलाकों में बारिश नहीं होने से किसानों और आम लोगों की चिंता बढ़ गई है। इस संकट को दूर करने और उत्तम वर्षा एवं अमृत वृष्टि की कामना के लिए महाकाल मंदिर के नंदी हाल में यह विशेष अनुष्ठान आयोजित किया गया। अनुष्ठान के दौरान महारुद्र पाठ किया जा रहा है, जो लगभग तीन घंटे तक चला।
नंदी हॉल में मौजूद पुजारियों ने शिवलिंग का महापूजन किया। इस दौरान गर्भगृह में सतत जलधारा भगवान महाकाल को अर्पित की गई और नंदी हाल में मंत्रोच्चार के साथ वातावरण को भक्तिमय बना दिया गया।
सीएम बोले- बाबा महाकाल आनंद बरसाएं
सीएम मोहन यादव ने रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना के अनुष्ठान में शामिल हुआ। प्रदेश में कहीं अधिक तो कहीं कम बारिश हो रही है। मैं बाबा महाकाल से प्रार्थना करता हूं कि हर जगह आनंद बरसाएं। यज्ञ शुरू हो गया है, बाबा महाकाल उसे सफल बनाएं।
मंदिर पुजारी आशीष ने कहा कि रक्षाबंधन पूर्णिमा महापर्व के अवसर पर, प्रदेश में उत्तम वर्षा की कामना के लिए भगवान महादेव के दरबार में महा रुद्राभिषेक प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा पूजन किया गया है। ब्राह्मणों के द्वारा सतत जलधारा और दूधधारा से अभिषेक किया जा रहा है।
गंभीर डेम में केवल 10 दिन का पानी बचा
श्रावण माह का आज अंतिम दिन है। इस साल प्रदेश के कई इलाकों में अच्छी बारिश हुई है, लेकिन मालवा क्षेत्र के कई हिस्सों में अब तक माकूल वर्षा नहीं हुई। उज्जैन में स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक है। शहर को जलापूर्ति करने वाला एकमात्र गंभीर डेम अब केवल 10 दिन का जल भंडारण शेष रखे हुए है।
पहले से ही उज्जैन में एक दिन छोड़कर पेयजल आपूर्ति की जा रही है। सावन जैसे पवित्र माह में भी जब वर्षा नहीं हो रही, तब जल संकट और अधिक गहराता जा रहा है। इन्हीं कारणों से बारिश की कामना के लिए यह पर्जन्य अनुष्ठान किया जा रहा है, ताकि क्षेत्र में शीघ्र अच्छी बारिश हो और लोगों को राहत मिले।
पर्जन्य अनुष्ठान क्या होता है
वैदिक पद्धति के अनुसार इसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद के पर्जन्य सूक्त, इन्द्र सूक्त और वरुण सूक्त का उच्चारण किया जाता है। यह अनुष्ठान मेघना को आकर्षित करने और उत्तम वर्ष की प्रार्थना के साथ किया जाता है। यहां उत्तम वर्ष से तात्पर्य है लाभदायक वर्षा अर्थात ऐसी बारिश जो खेती किसानी के लिए पर्याप्त हो और सामान्य जन जीवन को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करती हो।