मोहन भैया, आप चिंता मत करना, मैने पिताजी के गहने गिरवी रखकर त्यौहार मना लिया है - Khula Khat

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प्रिय भैया मोहन जी
, (मुख्य मंत्री) मध्य प्रदेश! राखी की शुभकामनाएँ! इस राखी के पर्व पर आपने प्रदेश की करोड़ों लाड़ली बहनों को जो उपहार दिया है, उसके लिए मैं आपकी बहुत आभारी हूँ। आपने समय पर ₹1,250 की राशि और साथ ही ₹250 का त्यौहार का अतिरिक्त बोनस भी प्रदान किया। यह एक बड़ी कृपा है।

आपको पता है, भैया, मेरे घर में पाँच लोग हैं - मैं, मेरे पति, सास और हमारे दो बच्चे। मेरे पति सरकारी प्राथमिक शाला में अतिथि शिक्षक हैं। जैसा कि आप जानते हैं, अप्रैल में उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था, और दो महीने बहुत मुश्किल से गुज़रे। जुलाई में जब उन्हें फिर से काम मिला, तो बड़ी राहत मिली। मैं आपक़ी और शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह जी की आभारी हूँ कि पहली बार जुलाई में ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गई।

परंतु भैया, एक बात है जो मुझे बहुत परेशान करती है। मेरे पति ने जुलाई में पूरे महीने काम किया, और इतना बड़ा त्यौहार आ गया, लेकिन उनकी तनख्वाह नहीं आई। मेरे पति की तनख्वाह ही हमारे परिवार की पूरी आमदनी है मेरे पति बहुत मेहनती हैं पर उनकी आय का एक बड़ा हिस्सा सास की दवाइयों में चला जाता है। फिर भी उन्होंने कभी किसी से कोई शिकायत नहीं की, लेकिन इस त्यौहार में अपने परिवार के लिए कुछ व्यवस्था ना कर पाने की उनकी परेशानी मै उनके चेहरे पर साफ देख सकती थी। वे चाहते थे कि हम सब मिलकर त्यौहार मनाएँ, लेकिन बिना पैसों के यह कैसे संभव है?

इसीलिए मैं आपसे और इस पूरे सिस्टम से यह बात कहना चाहती हूँ कि मुझे और मुझ जैसी हजारों बहनों को आपकी इस योजना के पैसे से ज़्यादा, अपने पति की समय पर मिली हुई तनख्वाह की ज़रूरत थी। आपका यह लाड़ली बहना रूपी झुनझुना तो सामने के दरवाजे से आता है और पिछले दरवाजे से चला जाता है कुछ पता ही नहीं चलता, क्योंकि, हमारे घर का बिजली बिल जो पहले ₹100-₹200 था, स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिना कुछ किये ही अचानक से बढ़कर दो से ढाई हज़ार रुपये हो गया है। शिकायत करो तो कहते हैं, तुम लोग पहले बिजली चोरी कर रहे थे अब नहीं कर पा रहे हो। बताइए भैया, इस तरह से माथे पर कलंक लगा देते हैं। हमको तो किसी ने यह भी नहीं बताया कि स्मार्ट मीटर हमारी मर्जी पर लगेगा, हमसे तो कहा गया कि यह अनिवार्य है। बच्चों की स्कूल फीस भी बाकी है, और स्कूल से दो बार याद दिलाया जा चुका है। काश, हमें यह सम्मानजनक आय मिलती, जिससे हम अपनी ज़रूरतें पूरी कर पाते, न कि बस एक उपहार पर निर्भर रहते।

मैं जानती हूँ, भैया, कि लाड़ली बहना योजना में बहुत सी बहनें हैं,लगभग 1.25 करोड़ से ज्यादा अगर सिर्फ बोनस की राशि जो 250 रूपये है और सभी लाडलियों से लगभग 3 अरब यानि 300 करोड़ से ज्यादा, को ही अगर अतिथि शिक्षकों की तनख्वाह के लिए उपयोग किया जाता, तो शायद मेरे पति जैसे कई परिवारों को चार महीने तक आर्थिक सहयोग मिल पाता, जिससे हम सब सम्मान के साथ अपना जीवन जी पाते। 

अंत मे यही कहूँगी भैया कि आप बिलकुल चिंता मत करना कि, आपकी बहन ने पैसों के अभाव में त्यौहार नहीं मनाया, आपको बताना चाहूंगी कि मेरे पिताजी ने मेरी शादी में अपने सामर्थ्य के अनुसार जो कुछ गहने दिए थे, उन पर मैंने बैंक से कर्ज़ लेकर त्यौहार मनाया है और कोशिश करुँगी आपको भी रखी भेज सकूँ।
आपकी लाड़ली बहना सीमा
और उसका अतिथि शिक्षक पति

अस्वीकरण: खुला खत एक ओपन प्लेटफॉर्म है। यहाँ मध्य प्रदेश के सभी जागरूक नागरिक सरकारी नीतियों की समीक्षा करते हैं, सुझाव देते हैं, और समस्याओं की जानकारी देते हैं। पत्र लेखक के विचार उसके निजी हैं। यदि आपके पास भी कुछ ऐसा है, जो मध्य प्रदेश के हित में हो, तो कृपया लिख भेजें। हमारा ई-मेल पता है: editorbhopalsamachar@gmail.com
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