अंशुल मित्तल, ग्वालियर | नगर निगम के अपर आयुक्त का एक वीडियो स्टिंग सामने आया है जिसमें वह सीट पर बैठकर 20000 रुपए की रिश्वत लेते दिखाई और सुनाई दे रहे हैं। अपरायुक्त ने संपत्तिकर नामांतरण करने के एवज में 20000 रुपए में अपनी ईमानदारी का सौदा किया। बताया जा रहा है कि नामांतरण के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों को महीनों चक्कर लगवाए जाते हैं और फाइल खोने का बहाना बनाकर, तरह-तरह से परेशान किया जाता है लेकिन अधिकारियों को रिश्वत मिलते ही, फाइल भी स्वतः मिल जाती है।
ग्वालियर नगर निगम के ऊपर आयुक्त का रिटायरमेंट के ठीक एक दिन पहले स्टिंग ऑपरेशन हो गया
बता दें कि नगर निगम से पूर्व में भी इस तरह के वीडियो सामने आते रहे हैं जिनमें निचले स्तर के कर्मचारी यह कहते सुने दिए हैं कि अपर आयुक्त को पैसे देने पड़ते हैं। इस वीडियो से कहीं ना कहीं यह बात सच भी साबित होती है। अब जब नगर निगम के वरिष्ठ अफसर खुद रिश्वत के खेल में शामिल हैं तो कैसे उम्मीद लगाई जा सकती है कि यह करेंगे शहर का विकास। बता दें कि अपरायुक्त अनिल दुबे प्रतिनियुक्ति पर नगर निगम में आए थे और 31 जुलाई 2025 को रिटायर हुए थे। रिश्वत का यह वीडियो 30 जुलाई का बताया जा रहा है।
वीडियो सामने आने के बाद कमिश्नर ने भी कार्रवाई किए जाने की बात कही थी। दरअसल अपर आयुक्त अनिल दुबे के यहां से बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता था चाहे कर्मचारियों के ट्रांसफर हो या नामांतरण, सभी के लिए भेंट चढ़ाई जाती थी। एक प्रकरण में 20000 रुपए की रिश्वत का लेनदेन सामने आने के बाद पता चला कि ऐसे 10 से 12 प्रकरण इनके पास पेंडिंग थे। जो कि इन्होंने रिश्वत मिलने के बाद कमिश्नर के पास भेजे थे। लेकिन अब आवेदकों की लाखों रुपए की रिश्वत भी डूब गई और उनके नामांतरण भी नहीं हुए।
इसके अलावा नगर निगम में धड़ल्ले से संपत्ति कर की फर्जी आइडी बनाने का खेल भी चलाया जाता रहा। इसमें भी कहीं ना कहीं पूर्व पर आयुक्त अनिल दुबे और उनके सहयोगियों के नाम सामने आ रहे हैं। इस मामले पर भी कमिश्नर में जांच कराए जाने का आश्वासन दिया है।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में जनकार्य शाखा के इंजीनियर और ठेकेदार के बीच रिश्वत के लेनदेन का एक ऑडियो भी खासा चर्चाओं में रहा। शहर का दुर्भाग्य है कि आम जन को मूलभूत सुविधाएं देने का जिम्मा ऐसे भ्रष्टाचारियों को सौंपा गया है।
ग्वालियर नगर निगम अपर आयुक्त का रिश्वत लेते वीडियो
वीडियो में दिखाई और सुनाई दे रहा है कि अपरआयुक्त अनिल दुबे अपने चेंबर में बैठकर किसी व्यक्ति से चर्चा कर रहे हैं वह व्यक्ति जब कहता है कि "साहब मेरी फाइल".... तब अनिल दुबे अभिज्ञता जताते हैं लेकिन जब वह व्यक्ति कहता है कि "साहब 2 मिनट अकेले में बात हो जाए तो मैं आपको कुछ दे दूं" तब अनिल दुबे उसे टेबल के सामने से अपने बगल में बुलाते हैं और लिफाफा लेते ही इशारे में पूछते हैं कि कितने हैं ? व्यक्ति बोलता है 20 है साहब 20... इसके बाद अनिल दुबे को तत्काल फाइल याद आ जाती है और वह बोलते हैं कि वह फाइल कमिश्नर तक जाएगी मैं करवा दूं