कहते हैं कि महिलाओं का मूल स्वभाव शांति और प्रेम होता है। उनके कारण ही समाज में प्रेम और सौहार्द का वातावरण है। महिलाएं हिंसा नहीं करती लेकिन यदि मच्छरों की बात करें तो यह फार्मूला लागू नहीं होता। पुरुष मच्छर बड़ा शांत और फलहारी होता है लेकिन मादा मच्छर इंसानों का खून पीती है। चलिए आज इसी बात का पता लगाते हैं कि जब नर मच्छर शाकाहारी होता है तो फिर मादा मच्छर मांसाहारी क्यों हो जाती है।
क्या आप जानते हैं: नर मच्छर फलहारी होता है
उत्तर प्रदेश में लखनऊ के रहने वाले कीट शास्त्री एवं शिक्षक श्री गिरीश चंद्र तिवारी ने इस विषय को बड़ी ही सरलता से समझाया है। श्री तिवारी बताते हैं कि, नर मच्छर शाकाहारी होते हैं। वे मनुष्यों या जानवरों का खून नहीं चूसते हैं। उनका मुख्य आहार पौधों का रस (nectar), फूलों का रस, फलों का रस और अन्य मीठे पौधों के स्राव होते हैं। यानी कि वह फलहारी होते हैं। जबकि मादा मच्छर चिड़ियों का खून पीती है। यदि चिड़िया नहीं मिलती तो जानवरों का खून पीती है और यदि जानवर नहीं मिलता तो इंसानों का खून पीती है। उसे हर हाल में ताजा खून चाहिए होता है।
मादा मच्छर को इंसानों का खून पसंद नहीं, मजबूरी में पीती है
श्री तिवारी बताते हैं कि दरअसल, मादा मच्छर हिंसक नहीं होती लेकिन जब वह गर्भवती होती है तो उसे प्रोटीन डाइट की जरूरत होती है, क्योंकि इनके शरीर में फैट बॉडीज की मात्रा बहुत कम होती है। ताज खून में भरपूर प्रोटीन मिलता है। मादा मच्छर का पहला शिकार चिड़िया होती है। उसे पक्षियों का खून बहुत पसंद है, लेकिन पृथ्वी पर पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है और खासतौर पर शहरी इलाकों में जहां मादा मच्छर की आबादी बढ़ रही है वहां पक्षियों की आबादी घट रही है। थोड़े बहुत पालतू जानवर मिलते हैं लेकिन उनसे भी काम नहीं चलता। इसलिए, मादा मच्छर ने पशु पक्षियों को शहर से बाहर निकलने वाले इंसानों पर हमला करना शुरू कर दिया है।
यदि आपके क्षेत्र में मच्छरों की संख्या बहुत अधिक है तो आपको अपने क्षेत्र में पक्षियों की संख्या बढ़ने पर काम करना चाहिए। ऐसा करने से मच्छर आपको काटना बंद कर देंगे।
श्री तिवारी बताते हैं कि यह उसकी मजबूरी भी है। जिस मादा मच्छर को ताज खून नहीं मिलता उसका गर्भपात हो जाता है। हालांकि मच्छर मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन शत्रु का गर्भपात भी दुखी कर देता है।