.webp)
अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम का दुरुपयोग
जिस प्रकार राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ की घोषणा किए जाने के तत्काल बात से टैरिफ लागू नहीं हुए थे, इस प्रकार कोर्ट का या फैसला भी तत्काल लागू नहीं होगा। राष्ट्रपति महोदय को 15 अक्टूबर तक का समय दिया गया है, यदि वह चाहे तो अपील अदालत के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, यूनाइटेड स्टेट में इंपोर्ट होने वाले समान पर इतना टैक्स 1930 के बाद कभी नहीं लगाया गया। वाशिंगटन की अपील अदालत का कहना है कि ट्रंप ने अधिकांश टैरिफ लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) का उपयोग किया है। यह अधिनियम राष्ट्रपति को "असामान्य और असाधारण" खतरों का सामना करने की शक्ति देता है लेकिन सिर्फ राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में। कोर्ट का कहना है कि टैरिफ के मामले में ट्रंप ने अधिनियम का दुरुपयोग किया है।
अपील अदालत ने कहा कि IEEP Act राष्ट्रपति को इस प्रकार के टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं देता। अधिनियम में राष्ट्रपति को कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए हैं परंतु टैरिफ या शुल्क लगाने, इस तरह की कोई दूसरी कार्रवाई करने अथवा किसी भी प्रकार का असामान्य टैक्स लागू कर देने का अधिकार स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है।
अमेरिका के अर्थशास्त्री और कारोबारी भी चिंतित
यूरोपीय संघ से आने वाले सामान पर 15% और भारत से आने वाले सामान पर 50% टैरिफ लगा दिए जाने के बाद अमेरिका के कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि, यह अंततः अमेरिका की अर्थव्यवस्था को परेशान करने वाला साबित होगा। इसके कारण कई अमेरिकी व्यवसायों को और खासतौर पर अंतर्राष्ट्रीय सामानों की उपभोक्ता अमेरिकी नागरिकों को काफी नुकसान होगा क्योंकि बधाई गए टैक्स का भुगतान अंततः उपभोक्ता को ही करना होगा। यहां इस बात का उल्लेख कर देना भी उचित हुआ कि अमेरिका के एक दर्जन से ज्यादा राज्यों ने ट्रंप के टैरिफ को कानूनी चुनौती दी है। इससे पहले अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने ट्रंप के टैरिफ को अवैध घोषित कर दिया था। इधर ट्रंप का कहना है कि यदि अपील कोर्ट का फैसला लागू हो गया तो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका नष्ट हो जाएगा लेकिन व्हाइट हाउस के अधिकारियों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट, अपील न्यायलय के फैसले को बदल देगा।