मध्य प्रदेश में बिना परमिट की स्कूल बस पर हर रोज ₹50000 चालान कटेगा

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मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आज विधानसभा में मोटर यान कराधान अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक प्रस्तुत कर दिया गया। इसमें सबसे प्रमुख बात यह है कि स्कूल और कॉलेज की बसों के लिए अलग से कैटिगरी बना दी गई है। यदि कोई भी स्कूल या कॉलेज की बस बिना परमिट के चलती पाई गई तो प्रत्येक सीट के लिए ₹1000 चालान कटेगा अर्थात यदि बस 50 सीटर है तो ₹50000 का चालान कटेगा। यही नियम यात्री बस पर भी लागू होगा। 

मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान विधेयक में संशोधन के बारे में परिवहन मंत्री का विधानसभा में वक्तव्य पढ़िए 

मध्य प्रदेश विधानसभा में मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक-2025 परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने प्रस्तुत किया। विधायकों की चर्चा के बाद परिवहन मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि यह विधेयक परिवहन व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग की कार्य-प्रणाली को निरंतर पारदर्शी बनाया जा रहा है। विभाग की नागरिकों से जुड़ी अधिक से अधिक सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है। (कृपया परिवहन मंत्री का वक्तव्य पढ़िए और आपकी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में दर्ज कीजिए।)

मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक-2025: प्रस्तावना

परिवहन मंत्री ने बताया कि वाहनों की बढ़ती संख्या एवं प्रकार को देखते हुए, इस अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु यह आवश्यक प्रतीत होने लगा है कि, धारा 13 में उल्लेखित मोटरयान कर की शास्ति के स्वरूप तथा गणना का युक्तियुक्तकरण किया जाये। मध्यप्रदेश में पंजीकृत मोटरयान का वाहन पोर्टल पर प्रविष्टि होने से, यान पर देय कर की गणना एवं उस पर निर्धारित दर पर शास्ति की गणना सतत रूप से होती रहती है। मध्यप्रदेश के बाहर पंजीकृत मोटरयान के संबंध में, प्रदेश में चलाए जाने पर, इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, देय कर का भुगतान यदि नहीं किया जाता है, तब इसे ज्ञात कर पाना संभव नहीं होने से शासन को राजस्व की क्षति भी होती है। अतः वर्तमान प्रावधानों में संशोधन करते हुए उक्त दोनों श्रेणी के मोटरयान के देय कर अदायगी में, उल्लंघन होने पर, समानुपातिक रूप से, देय कर पर शास्ति अधिरोपित किया जाना आवश्यक है। इसी प्रकार वर्तमान में बिना अनुज्ञा पत्र अथवा अनुज्ञा पत्र में उल्लेखित प्रयोजन का उल्लंघन कर रहे, मोटरयान के संबंध में अधिरोपित की जाने वाली शास्ति की गणना करने की प्रक्रिया में सरलीकरण एवं स्पष्टता भी लाई जाना आवश्यक है। 

धारा-13 के तहत चार गुना पेनल्टी लगेगी

प्रस्तुत विधेयक के माध्यम से मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 में निम्नानुसार संशोधन हैं- मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा-13 में पूर्व में प्रावधानित मोटरयान कर जमा न करने की दशा में उसके देय कर पर 04 प्रतिशत की दर से शास्ति गणित होती है, जो लंबित देयकर से दुगनी से अधिक नहीं हो सकती है जिसे बढ़ाकर चार गुना किया जाना प्रस्तावित है। अन्य राज्यों के पंजीकृत वाह‌नों द्वारा देय कर जमा नहीं करने पर उनके देय कर की चार गुना शास्ति गणित किया जायेगा। 

बिना परमिट स्कूल बस और यात्री बस पर ₹1000 प्रति सीट पेनल्टी लगेगी

मासिक/तिमाही/वार्षिक मोटरयान कर जमा करने वाले मोटरयानों पर, प्रदेश में बिना परमिट, परमिट शर्त उल्लंघन की दशा में, उनके देय मोटरयान कर की चार गुनी शास्ति की राशि देय होती है तथा ऐसे यान जिनका पूर्व से जीवनकाल मोटरयान कर जमा है, उनके बिना परमिट, परमिट शर्त संचालन की दशा में उन पर, उनके जीवनकाल कर की राशि का 25 प्रतिशत शास्ति की राशि देय होती है। उसके स्थान पर यात्री वाहनों तथा स्कूल बस आदि वाहनों के बिना परमिट परमिट शर्त की उल्लंघन की दशा में पंजीकृत बैठक क्षमता अनुसार रूपये 1000/- प्रति सीट शास्ति तथा मालवाहन की श्रेणी में बिना परमिट परमिट शर्त उल्लंघन की दशा में ऐसे मोटरयान के सकल यान भार अनुसार रूपये 1000/- प्रति टन या उसके भाग के लिए शास्ति लिया जायेगा। 

मोटरयान कराधान अधिनयम की धारा 13 में कितने संशोधन और क्यों

प्रस्तावित मोटरयान कराधान संबंधी विधेयक 2025, अधिनयम की धारा 13 में आवश्यक संशोधन से संबंधित है यह धारा-13 (1) किसी भी वाहन स्वामी द्वारा किसी भी रूप में मोटरयान के कर भुगतान करने में असफल रहने पर शास्ति (पेनल्टी) को निर्धारण करने हेतु है। इस धारा-13 के तहत 2 उपधाराएं 13 (1) एवं 13 (2) वर्तमान में प्रचलित है धारा-13 (1) किसी भी रूप में मोटरयान कर प्रावधानो के तहत जमा नहीं करने पर, शास्ति (पेनल्टी) की गणना के लिए है तथा धारा 13 (2) ऐसे वाहन जो बिना परमिट अथवा परमिट के शर्तों का उल्लंघन करते हुए चलाये जाते है, पकड़े जावें, उन पर शास्ति (पेनल्टी) के निर्धारण के लिए है।

प्रस्तावित संशाधनों में धारा 13 (1) में अन्य राज्य में पंजीकृत वाहनों के संबंध में, मोटरयान कर जमा करने संबंधी उल्लंघन किये जाने पर शास्ति (पेनल्टी) का निर्धारण जोड़ा गया है। यह इसलिए आवश्यक है क्योकि म.प्र. में पंजीकृत वाहन, वाहन पोर्टल पर दर्ज रहते है तथा देय कर उस पर शास्ति (पेनल्टी) गणना निरंतर दर्ज होती रहती है। 

लोक सेवा प्राइवेट और स्कूल बस कैटिगरी विभाजन

प्रदेश में बाहर के पंजीकृत वाहनों हेतु ऐसी कोई व्यवस्था प्रदेश में न होने से प्रदेश के बाहर पंजीकृत वाहनों हेतु शास्ति (पेनल्टी) हेतु अतिरिक्त प्रावधान धारा 13 (1) में प्रावधानित की गयी है। धारा 13 (2) में प्रस्तावित संशोधनों के स्वरूप मुख्य तौर पर शास्ति की गणना करने के सरलीकरण एवं स्पष्टता लाने के उद्देश्य से है। यह उपधारा बिना परमिट के संचालन अथवा परमिट के शर्तों के उल्लंघन के साथ संचालित होने वाले वाहनों पर देय कर के अतिरिक्त शास्ति अधिरोपित करने से संबंधित है, इस उपकंडिका में लोकसेवा यान / निजी सेवा यान / शैक्षणिक संस्था बस तथा स्कूल बस की श्रेणी अलग की गयी है जिस पर शास्ति की गणना में स्पष्टता लाते हुए देय मोटरयान कर के अतिरिक्त रूपये 1000 प्रतिसीट शास्ति का प्रावधान किया गया है। 

वर्तमान में प्रचलित प्रावधानों में यह शास्ति देय मोटरयान कर की चार गुना है तथा संशोधन उपरांत शास्ति की अनुमानित मात्रा में ज्यादा अंतर नही है। इसी धारा 13 (2) में माल वाहन की श्रेणी के वाहनो हेतु भी बिना परमिट के संचालन अथवा परमिट के शर्तों के उल्लंघन में 1000 रूपये प्रति टन शास्ति प्रस्तावित की गयी है। 

परिवहन मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह के जवाब के बाद सदन ने उक्त विधेयक सर्व-सम्मति से पारित कर दिया।
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