MP शिक्षक भर्ती सेकंड डिवीजन घोटाला में स्कूल शिक्षा के प्रमुख सचिव एवं CPI को हाई कोर्ट का नोटिस

जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश ने मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय के प्रमुख सचिव और आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। मामला मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती के दौरान सुर्खियों में रहे सेकंड डिवीजन घोटाले का है।

Madhya Pradesh High School Teacher Recruitment Rules 2018 and NCTE Guidelines 

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों की भर्ती से संबंधित नियम 30 जुलाई 2018 को बनाए गए थे। इन भर्ती नियमों के नियम 8 और अनुसूची तीन में high school teacher की योग्यता के लिए संबंधित विषय में द्वितीय श्रेणी में postgraduate degree और B.Ed. degree आवश्यक थी। जबकि NCTE के नियमों में high school teacher के लिए संबंधित विषय में postgraduate degree में 50% अंक और B.Ed. degree अनिवार्य है।  

Madhya Pradesh High School Teacher Recruitment 2018: Selection Process Issues 

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2018 में high school teacher की भर्ती के लिए eligibility exam का आयोजन किया गया और अक्टूबर 2021 से selection process शुरू की गई। document verification के दौरान जिन अभ्यर्थियों की marksheet में द्वितीय श्रेणी अंकित थी, उन्हें चयनित कर लिया गया, भले ही उनके कुल प्राप्त अंक 45% थे। दूसरी ओर, जिन अभ्यर्थियों की marksheet में तृतीय श्रेणी अंकित थी, लेकिन उनके अंक 45% से 49.9% के बीच थे, उन्हें चयन से बाहर कर दिया गया।  

Constitutional Challenges to Madhya Pradesh Teacher Recruitment Rules in High Court

इसके बाद, कई अभ्यर्थियों ने high court में याचिकाएँ दायर कर नियमों की संवैधानिकता को दो आधारों पर चुनौती दी। पहला आधार यह था कि भर्ती नियम 8 की अनुसूची तीन संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 तथा NCTE के नियमों के विरुद्ध है, क्योंकि देश और प्रदेश के विभिन्न universities में scaling system अलग-अलग है। कुछ universities 45% से 59.9% अंकों को द्वितीय श्रेणी मानती हैं, जबकि कुछ 45% से 50% अंकों को तृतीय श्रेणी मानती हैं। इससे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है और याचिकाकर्ताओं को अनुच्छेद 16 के तहत employment में समान अवसर से वंचित किया गया। NCTE, जो education के क्षेत्र में देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है, ने अपने नियमों में श्रेणी का उल्लेख न कर 50% अंकों का प्रावधान किया है।  

Reservation Issues in Madhya Pradesh High School Teacher Recruitment 2018

दूसरा मुद्दा यह था कि संविधान के अनुच्छेद 335 और Reservation Act 1994 के तहत reserved category को अंकों में कम से कम 5% की छूट का प्रावधान है। साथ ही, अनुच्छेद 16(1) में persons with disabilities को छूट देने की व्यवस्था है। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2018 के भर्ती नियमों में high school teacher की भर्ती में reserved category और persons with disabilities के लिए कोई छूट का प्रावधान नहीं किया गया।  

Madhya Pradesh High Court Declares Teacher Recruitment Rules Unconstitutional

याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार ने high court में नियमों में भविष्यलक्षी प्रभाव से सुधार करने की सहमति दी थी। लेकिन कोर्ट ने सरकार की इस सहमति को खारिज कर दिया और याचिकाओं पर विस्तृत निर्णय पारित करते हुए उक्त नियमों को retrospective effect से असंवैधानिक घोषित कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पूर्व की नियुक्तियों को बिना प्रभावित किए, याचिकाकर्ताओं को दो माह के भीतर appointment प्रदान की जाए। साथ ही, उन सभी अभ्यर्थियों को, जिन्हें असंवैधानिक नियमों के आधार पर अयोग्य ठहराया गया था, supplementary recruitment process के माध्यम से छह माह के भीतर भर्ती पूरी की जाए।  

Contempt Petitions Filed Against Madhya Pradesh Officials for Non-Compliance

लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के school education department के प्रमुख सचिव (डॉ. संजय गोयल) और DPI commissioner (शिल्पा गुप्ता) ने कोई कार्यवाही नहीं की। इसके बाद, हरदा निवासी अनुसूचित जनजाति की अभ्यर्थी श्रीमती शिवानी शाह, अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी रायसेन निवासी प्रदीप अहिरवार, विदिशा निवासी महेंद्र चौधरी, सागर निवासी हेमंत चौधरी, OBC category के अवधेश पाल, और हुसेन मोहम्मद ने high court में contempt petitions क्रमांक 3693/2025, 3775/2025, 3778/2025, 3773/2025, 3774/2025, और 3778/2025 दायर कीं। प्रारंभिक सुनवाई में डॉ. संजय गोयल और शिल्पा गुप्ता को court order की अवमानना का notice जारी किया गया और चार सप्ताह के भीतर high court में उपस्थित होकर जवाब देने का आदेश दिया गया। 

Madhya Pradesh Government Criticized for Denying Constitutional Rights 

वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है कि मध्य प्रदेश शासन का स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल कई बार court cases में गलत तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं। high court और supreme court के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद reserved category, जो मध्य प्रदेश की 92.79% आबादी का प्रतिनिधित्व करती है, को उनके constitutional rights से वंचित किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि या तो स्कूल शिक्षा विभाग के पास योग्य legal advisors नहीं हैं, या स्कूल शिक्षा और लोक शिक्षण के अधिकारी जानबूझकर reserved category की अनदेखी कर रहे हैं।

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