Madhya Pradesh में सरकारी कर्मचारियों के Promotion और Reservation नियमों की विधानसभा में होगी समीक्षा

मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में "Madhya Pradesh Public Service Promotion Rules-2025" लागू किए हैं, लेकिन इन नियमों को अब विधानसभा के मानसून सत्र में जांच के लिए रखा जाएगा। यह सत्र 28 जुलाई, 2025 से शुरू होने वाला है। 

मध्य प्रदेश के प्रमोशन नियम संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हैं या नहीं?

मध्य प्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) इन Promotion Rules की अधिसूचना को विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत करेगा। इसके बाद, इसे प्रत्यायुक्त विधान समिति (Delegated Legislation Committee) को सौंपा जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगी कि ये नियम संविधान के प्रावधानों के अनुरूप हैं या नहीं। यदि समिति को लगता है कि कोई नियम संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है या उसमें स्पष्टता की कमी है, तो वह संशोधन की अनुशंसा कर सकती है।

नौ साल बाद नए नियम, लेकिन लागू होने पर रोक

मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2002 के Promotion Rules को जबलपुर हाई कोर्ट द्वारा 2016 में निरस्त किए जाने के बाद, नौ साल बाद Madhya Pradesh Public Service Promotion Rules-2025 लागू किए हैं। इन नए नियमों में SC/ST reservation in promotion और सामान्य वर्ग के पदों पर भी आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को Promotion का अवसर देने का प्रावधान शामिल है। सामान्य वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इन नियमों को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी आपत्ति इस बात पर है कि Reserved category के कर्मचारियों को पहले Promotion देने, 2002 के नियमों से पदोन्नत कर्मचारियों को Demotion किए बिना पात्रता प्रदान करने, और सुप्रीम कोर्ट में लंबित विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) को वापस न लेने जैसे प्रावधानों से Unreserved Category के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।

जबलपुर हाई कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि जब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं हो जाता, तब तक Promotion rules 2025 के आधार पर कोई भी Promotion या संबंधित कार्रवाई न की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई, 2025 को होगी। सामान्य प्रशासन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों और नए नियमों के आधार पर अपना जवाब तैयार किया है, जिसे कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।

विधानसभा में अधिसूचनाएं रखना अनिवार्य

मध्य प्रदेश विधानसभा के नियमों के अनुसार, दो सत्रों के बीच Gazette में प्रकाशित सभी अधिसूचनाओं को सदन के पटल पर रखना अनिवार्य है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विधानसभा के सभी सदस्यों को सरकार द्वारा किए गए नियमों, विनियमों और उप-नियमों में संशोधन या नई व्यवस्थाओं की जानकारी मिले। सत्र समाप्त होने के बाद, विधानसभा सचिवालय इन अधिसूचनाओं को प्रत्यायुक्त विधान समिति को भेजता है, जहां इनका विस्तृत परीक्षण किया जाता है। 
 

प्रत्यायुक्त विधान समिति की भूमिका

प्रत्यायुक्त विधान समिति का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा बनाए गए नियम और विनियम संविधान के अनुरूप हैं। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह के अनुसार, समिति सत्र समाप्त होने के बाद सभी अधिसूचनाओं की जांच करती है और अपनी अनुशंसा देती है। यदि कोई प्रावधान संवैधानिक या विधि के अनुरूप नहीं पाया जाता, तो संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जाती है। आवश्यकता पड़ने पर वरिष्ठ अधिकारियों को साक्ष्य के लिए बुलाया जाता है, और यदि जरूरी हो तो नियमों में संशोधन भी किया जाता है। 

कर्मचारियों और संगठनों की प्रतिक्रिया

नए Promotion Rules को लेकर मध्य प्रदेश में कर्मचारी संगठनों और सामाजिक समूहों में चर्चा तेज है। सपाक्स संघ ने Reservation in promotion के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसके चलते नियमों के लागू होने पर रोक लगी है। दूसरी ओर, अजाक्स जैसे संगठनों और कुछ वरिष्ठ SC/ST IAS officers ने Reservation को और मजबूत करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि SC/ST employees को Promotion में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

मानसून सत्र में अन्य मुद्दे

28 जुलाई से शुरू होने वाला विधानसभा का monsoon session न केवल promotion rules बल्कि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी केंद्रित होगा। सरकार द्वारा हाल ही में घोषित Dearness Allowance (DA)* में 5% की वृद्धि, जिसमें 3% 1 जुलाई, 2024 से और 2% 1 जनवरी, 2025 से लागू होगा, भी चर्चा का विषय हो सकता है। इसके अलावा, MPESB Recruitment 2025 के तहत विभिन्न government jobs के लिए भर्ती प्रक्रिया और reservation policies पर भी बहस की संभावना है।

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