मध्य प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के तीसरे दिन आज सदन में, ग्वालियर में 53876 गरीबों को जमीन के पट्टे के मामले में सबसे लंबा डिस्कशन हुआ। यह प्रश्न कांग्रेस पार्टी के विधायक डॉ सतीश सिकरवार द्वारा उठाया गया था। राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा द्वारा उत्तर दिया गया।
मध्य प्रदेश विधानसभा क्र. 1085: विधायक डॉ. सतीश सिकरवार बनाम राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा
विधायक डॉक्टर सतीश सिकरवार ने पूछा कि ग्वालियर में कितने गरीब लोगों द्वारा सरकारी जमीन का पट्टा प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था और उसमें से सरकार ने कितने लोगों को पट्टा दिया है। उत्तर देते हुए मध्य प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि, मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अंतर्गत नगरीय क्षेत्र की शासकीय भूमि के धारकों को धारणाधिकार के तहत पट्टा दिए जाने एवं म.प्र. नजूल भूमि निर्वर्तन निर्देश, 2020 के अध्याय-7 में भूमि स्वामी हक में कृषि प्रयोजन के लिए भूमि के आवंटन के नियम हैं। भूमि के आवंटन संबंधी कोई कार्यकारी निर्देश नहीं हैं। जिला ग्वालियर में वर्ष 2020 से मई 2025 तक मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अंतर्गत कुल 53,876, नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि के धारकों के धारणाधिकार के अंतर्गत कुल 2,446 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
ग्वालियर की सिर्फ एक विधानसभा के गरीबों को जमीन दी गई है: आरोप
डॉ. सतीश सिकरवार, विधायक: मेरे प्रश्न का उत्तर, जो कि मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है, के अनुसार ग्वालियर जिले में मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अंतर्गत कुल 53,876 फॉर्म जमा हुए हैं एवं शासकीय भूमि के धारकों के धारणाधिकार के अंतर्गत कुल 2,446 फॉर्म आए। इसमें से कुल 598 पट्टे दिए गए हैं और इन 598 में से मुझे जो सूची उपलब्ध कराई गई है, वह ग्वालियर जिले की केवल एक विधान सभा की है। ग्वालियर शहर में लगभग 3.5 विधान सभाएँ हैं। उनमें जो 598 पट्टे वितरित किए गए हैं, वे केवल एक विधान सभा के हैं। उसमें ग्वालियर, ग्वालियर दक्षिण एवं ग्वालियर ग्रामीण के वार्डों में से किसी को पट्टा नहीं दिया गया है।
जिसके नाम बिजली का बिल होगा उसी को पट्टा दिया जाएगा: राजस्व मंत्री
श्री करण सिंह वर्मा, राजस्व मंत्री: पट्टे दो तरह से दिए जाते हैं। एक तो जैसे हम नगरीय क्षेत्र में पट्टे देते हैं। उसमें 2,446 आवेदन प्राप्त हुए और 1,227 पट्टे दिए हैं। हमने 1,219 को अस्वीकृत किया है। जब वे पात्रता में आ जाएँगे तो उन्हें भी पट्टे दिए जाएँगे। दूसरा, हम धारणा के दो तरह के पट्टे देते हैं। धारणा के आधार पर हमें 24,648 आवेदन प्राप्त हुए हैं और हमने 1,001 पट्टे दिए हैं एवं 17,200 को अस्वीकृत किया है। धारणा का भी एक नियम है कि वह व्यक्ति पाँच वर्ष से वहाँ रहता हो, टपरिया हो और उसका कुछ छोटा-मोटा निर्माण हो, उसका बिजली का बिल हो, उसी आधार पर हम पट्टे देते हैं।
डॉ. सतीश सिकरवार: मंत्री जी ने पहले लिखित जवाब में बताया है कि शहरी क्षेत्र में पट्टे देने का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार के पास कोई नियम नहीं है। यहाँ ग्वालियर में धारणाधिकार के तहत 24,000 से ज्यादा पट्टों के लिए आवेदन किए गए और मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के तहत 53,000 लोगों ने आवेदन किए। कुछ लोगों को मिले हैं, कुछ लोगों को अस्वीकृत कर दिया गया है। इसका कोई नियम नहीं है कि किस आधार पर अस्वीकृत किए गए। ग्वालियर में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनमें से बगल वाले को पट्टा मिल गया और बगल के तीन लोगों को पट्टा नहीं मिला। मेरे पास तमाम लोगों की सूची है।
अपात्र लोगों को हम जमीन नहीं दे पाएंगे: राजस्व मंत्री
श्री करण सिंह वर्मा: वर्ष 2020 से वर्ष 2025 तक मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अंतर्गत कुल 53,876 और नगरीय क्षेत्र में शासकीय भूमि के धारकों को धारणाधिकार के तहत 24,600 आवेदन प्राप्त हुए हैं और उन्हें हमने पात्रता के अनुसार पट्टे दे दिए हैं। जिनकी पात्रता नहीं है, उन्हें हम नहीं दे पाएँगे। जिसे हम पट्टा देते हैं, उसे उस जमीन पर पहले से ही धारण किया होना चाहिए, उसे पाँच वर्ष वहाँ रहना चाहिए या उसका मकान होना चाहिए, उसका बिजली का बिल एवं नल का बिल होना चाहिए। उसी को पात्रता मानकर हम धारणा के अनुसार पट्टे देते हैं।
जिन झुग्गी झोपड़ियां तक बिजली पानी की लाइन ही नहीं है उनका क्या करें: विधायक
डॉ. सतीश सिकरवार: कई जगह बिजली नहीं है। जहाँ लोग झोपड़ियों में 10-10 वर्षों से रह रहे हैं, वहाँ बिजली नहीं है और पानी की कोई लाइन नहीं है तो पानी का बिल कहाँ से आएगा? इसके लिए आप नियम बनाएँ, नियमों में शिथिलता बरतें। जहाँ पानी की पाइपलाइन नहीं है, वहाँ पानी का बिल कहाँ से आएगा?