DINDORI NEWS - कारण पढ़िए, कलेक्टर ने पत्रकारों पर प्रतिबंध क्यों लगाया

भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी नेहा मारव्या यदि किसी प्रमुख पद पर हों और हैडलाइंस ना बने, ब्रेकिंग न्यूज़ ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता। मैडम नेहा आजकल डिंडोरी में कलेक्टर के पद पर हैं। उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 की धार 163 के तहत कलेक्टर ऑफिस में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। वैसे पत्रकार एक आम नागरिक होता है और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए प्रश्न करता है। भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 की धारा 163 के तहत संवैधानिक अधिकारों को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है लेकिन मैडम नेहा ने कर दिया है। 

डिंडोरी के पत्रकार लोक शांति के लिए खतरा?

उन्होंने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है कि, लोक शांति को बनाए रखने के लिए यह प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया है। कलेक्टर कार्यालय परिसर में पत्रकारों द्वारा आगान्तुक से साक्षात्कार, बिना अनुमति पत्रकारों का कार्यालय में प्रवेश अथवा साक्षात्कार नहीं कर सकेगा। उन्होंने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि, परिस्थितियां ऐसी नहीं हैं कि उस व्यक्ति/व्यक्तियों (अर्थात पत्रकारों) पर जिसके विरूद्ध यह आदेश र्निदिष्ट है, सूचना तामीली सम्यक् समय में करने की गुंजाइस हो, अतः एक पक्षीय रूप में यह आदेश पारित किया जाना आवश्यक हो गया है। 

नेहा मारव्या - लगातार विवाद के कारण 14 साल फील्ड पोस्टिंग नहीं मिली थी

मध्य प्रदेश में नेहा मारव्या, भारतीय प्रशासनिक सेवा की एक ऐसी महिला अधिकारी है जिन्हें लगातार विवाद के कारण फील्ड से हटाकर मंत्रालय में अटैच कर दिया गया था। वह सही बात को भी कुछ इस तरीके से आगे बढ़ाती है के विवाद पैदा हो जाता है। 14 साल बाद जनवरी 2025 में उन्हें कलेक्टर बनाया गया था और सिर्फ 6 महीने में उनके दो से अधिक विवाद सामने आ चुकी है। 

नेहा मारव्या ने पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों लगाया

नेहा मारव्या, जिस भी जिले में रहती हैं, वहां अपने समकक्ष अथवा वरिष्ठ अधिकारी से पंगा ले लेती हैं। डिंडोरी में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अनिल कुमार राठौर के साथ तनाव की स्थिति बन गई है। इसके अलावा RES के अधिकारी भी उनके खिलाफ लामबंद हो गए हैं। एक महीने पहले केएस राजपूत ने एक शिकायत की थी जिसमें नेहा मारव्या पर गंभीर आरोप लगाए गए:- 
  • जिला पंचायत के एक एपीओ से 25 लाख रुपए की मांग की। 
  • करंजिया और डिंडोरी जनपद के इंजीनियरों के तबादले में अनियमितता।
  • कलेक्टर ने अमृत सरोवर की जांच के नाम पर विभाग से डेढ़ करोड़ रुपए की मांग की। 
  • आरईएस विभाग से 20 लाख रुपए लिए।
  • शिकायत में तारीख और समय का उल्लेख भी किया गया था। इसके बाद ही तनाव की स्थिति बन गई। 

कलेक्टर नेहा मारव्या ने प्रभारी पीआरओ चेतराम अहिरवार को आदेश दिया कि वह शिकायत करने वाले व्यक्ति की जांच करें। वह पत्रकार है या नहीं है, और उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाएं। प्रभारी पीआरओ चेतराम अहिरवार उन्हें बताया कि जनसंपर्क विभाग में केएस राजपूत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। 

जनसंपर्क विभाग में रिकॉर्ड नहीं होने और कलेक्टर नेहा मारव्या के आदेश के बावजूद मामला दर्ज नहीं हुआ, क्योंकि कलेक्टर या शासन किसी भी पत्रकार को लाइसेंस नहीं देता। संविधान द्वारा प्राप्त अभिव्यक्ति की आजादी के आधार पर पत्रकारता की जाती है। इसलिए ऐसे किसी पत्रकार के खिलाफ, इसलिए मामला दर्ज नहीं किया जा सकता क्योंकि उसका रिकॉर्ड शासन के पास नहीं है। 

बस इसी बात से नाराज होकर, स्वतंत्र पत्रकार बिरादरी से बदला लेने के लिए कलेक्टर ने गुस्से में सभी प्रकार के पत्रकारों पर प्रतिबंध लगा दिया। अब यदि किसी पत्रकार को कलेक्टर से कोई सवाल पूछना है तो उसे एसडीएम से अनुमति लेनी होगी। क्योंकि कलेक्टर के आदेश के अनुसार पत्रकारों के सवाल डिंडोरी कलेक्टर परिसर में लोक शांति के लिए खतरा बन गए हैं। यदि किसी पत्रकार ने एसडीएम की लिखित अनुमति के बिना कलेक्टर कार्यालय में किसी भी अधिकारी से कोई सवाल पूछ लिया, तो शांति स्थापित करने के लिए पुलिस से गिरफ्तार कर लेगी।

नेहा मारव्या IAS से जुड़े कुछ चर्चित किस्से पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें 

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