Criminal law- फर्जी केस में फंसे व्यक्ति को बचाव का अवसर कब और किस धारा के तहत मिलता है?

जब कोई व्यक्ति निजी तौर पर court में किसी के विरुद्ध प्रकरण प्रस्तुत करता है, तो वह आरोप (blame) के साथ उसे प्रमाणित करने के लिए evidence भी प्रस्तुत करता है। ऐसे मामलों में court आरोपी (accused) को तभी तलब करता है, जब उसे blame के साथ प्रस्तुत किए गए evidence विश्वास योग्य प्रतीत होते हैं। सवाल यह है कि जब न्यायालय blame के साथ प्रस्तुत किए गए evidence को विश्वास योग्य मान लेता है, तो किस कानून के तहत accused को immunity का अवसर प्राप्त होता है।

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 270 की परिभाषा

व्यक्तिगत रूप से court में प्रस्तुत किए गए case में court तभी संज्ञान (cognizance) लेता है, जब प्रस्तुत case में आरोप को सिद्ध करने के ठोस आधार (solid base) उपलब्ध हों। इसके बाद यदि आरोपी न्यायालय में अपने against लगाए गए आरोपों को अस्वीकार (decline) करता है, तो magistrate BNSS की धारा 270 के अंतर्गत accused को अपने बचाव में evidence प्रस्तुत करने का अवसर देता है। आरोपी व्यक्ति, magistrate से अनुमति लेकर अपने पक्ष के समर्थन में witnesses को प्रस्तुत कर सकता है।

नोट: Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita की धारा 266 उसी प्रकरण में लागू होती है, जहां magistrate पुलिस द्वारा प्रस्तुत case में trial कर रहा हो, जबकि BNSS की धारा 270 निजी तौर पर प्रस्तुत किए गए मामलों (affairs) में accused को immunity का अवसर प्रदान करती है, एवं BNSS की धारा 255 के अंतर्गत sessions court में trial के समय accused को immunity का बचाव देती है।

भारत में आरोपी को प्रतिरक्षा (immunity) का अवसर magistrate, district and sessions court, high court, और supreme court तक दिया जाता है। यही भारतीय न्याय व्यवस्था (Indian judicial system) की पहचान है।

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