Criminal law- ठोस सबूत के बावजूद जज, आरोपी को सजा नहीं दे सकता; पढ़िए ऐसा कब होता है

हम बात कर रहे हैं ऐसे Crime के आरोपों के बारे में जो व्यक्ति स्वयं जाकर Magistrate के समक्ष परिवाद दायर करता है। अगर किसी complainant ने किसी अमुक व्यक्ति (certain person) के ऊपर ऐसा दोषरोपण (accusation) कर दिया है जिसका कोई आधार ही नहीं था तब Magistrate ऐसे परिवाद को BNSS की धारा 268 के अंतर्गत खारिज कर आरोपी को discharged कर देगा, लेकिन अगर आरोप ऐसा है कि आरोपी ने वह Crime किया हुआ है तब Magistrate आगे की Proceeding कैसे करेगा, पढ़िए:-

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 269 की परिभाषा

जब किसी अरोपित Crime के ठोस साक्ष्य (Concrete Evidence) मौजूद हो तब Magistrate आरोपी व्यक्ति से Crime को स्वीकार करने के लिए बोलेगा अगर accused व्यक्ति Charges की स्वीकार कर लेता है तब Magistrate आरोपी को दोषसिद्ध (convicted) कर देगा एवं विवेकानुसार punished कर सकता है।

लेकिन Crime को साबित करने के आधार भी मौजूद हैं और accused स्वीकार भी नहीं कर रहा है, तब मजिस्ट्रेट accused को दोषसिद्ध नहीं कर सकता है एवं अगली Hearing के लिए पुनः उचित समय देगा जिससे वह अपनी प्रतिरक्षा (Immunity)कर सके। 

कुल मिलाकर यह section इस बात को clear करती है कि Magistrate के पास Crime के ठोस साक्ष्य (Concrete Evidence) होने के बाद भी accused को बिना इसकी Hearing के दोषी (Guilty) नहीं ठहरा जा सकता है। उनको भी सुनवाई (Hearing) पूरा अवसर दिया जाएगा कानूनी प्रक्रिया (legal process) में। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।

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