मध्यप्रदेश विधान सभा के जुलाई-अगस्त 2025 सत्र की दैनिक कार्य सूची (मंगलवार, 29 जुलाई 2025) में नियम 138 (1) के तहत दो ध्यान आकर्षण प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। इनमें से एक प्राइवेट स्कूलों की फीस से संबंधित है एवं दूसरा वृद्धावस्था और विधवा पेंशन से संबंधित है। नीचे इन दोनों ध्यान आकर्षण प्रस्तावों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
विधायक अजय अर्जुन सिंह: निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस की वसूली
मुद्दा: निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से अत्यधिक और अनुचित फीस वसूलने की शिकायतें मध्यप्रदेश में लंबे समय से सामने आ रही हैं। यह मुद्दा विशेष रूप से मध्यम और निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि निजी स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता का दावा करते हुए मनमानी फीस बढ़ाते हैं, जिसमें ट्यूशन फीस, प्रवेश शुल्क, और अन्य शुल्क शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, स्कूलों द्वारा किताबों, यूनिफॉर्म, और अन्य गतिविधियों के लिए अतिरिक्त शुल्क भी वसूले जाते हैं।
प्रभाव: इस मनमानी फीस वसूली से अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है, और कई परिवारों के लिए निजी स्कूलों में बच्चों की शिक्षा जारी रखना मुश्किल हो रहा है। यह शिक्षा के समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ है और सामाजिक असमानता को बढ़ावा दे सकता है।
विधायक इंजीनियर प्रदीप लारिया: वृद्धावस्था और विधवा पेंशन
मुद्दा: मध्यप्रदेश में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत वृद्धावस्था पेंशन और विधवा पेंशन वंचित और कमजोर वर्गों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता हैं। हालांकि, बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत के बावजूद इन पेंशनों की राशि में लंबे समय से कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं की गई है। वर्तमान में मध्यप्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के तहत पात्र व्यक्तियों को प्रति माह 600 रुपये (केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजनाओं के तहत) प्रदान किए जाते हैं, जो आज के आर्थिक परिदृश्य में अपर्याप्त है।
प्रभाव: पेंशन की कम राशि के कारण वृद्ध और विधवाएं अपनी बुनियादी जरूरतों (जैसे भोजन, दवाइयां, और आवास) को पूरा करने में असमर्थ हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए गंभीर समस्या है जो परिवार या अन्य आय स्रोतों पर निर्भर नहीं हैं। इससे सामाजिक असुरक्षा और गरीबी बढ़ रही है।
मध्य प्रदेश विधानसभा नियम 138 (1):
मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमावली के तहत, ध्यान आकर्षण प्रस्ताव सदस्यों को तत्काल और महत्वपूर्ण जनहित के मुद्दों को उठाने का अवसर देता है। यह सरकार को इन मुद्दों पर जवाब देने और नीतिगत उपायों की जानकारी देने के लिए बाध्य करता है।