अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेताओं ने पूरी ताकत लगाकर रायसेन जिले के जी कॉलेज प्रिंसिपल को ट्रांसफर करवाया था, हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश से उसे संरक्षण मिल गया है। उच्च न्यायालय ने उसके स्थानांतरण आदेश को स्थगित कर दिया है।
गवर्नमेंट कॉलेज, उदयपुरा, जिला रायसेन का मामला
गवर्नमेंट कॉलेज, उदयपुरा, जिला रायसेन में प्राचार्य के पद पर पदस्थ श्री भगवान दास खरवार का ट्रांसफर कथित राजनीतिक आवश्यकता के आधार पर, गवर्नमेंट कॉलेज, विदिशा, दिनांक 07/06/25 को कर दिया गया था। स्थानांतरण से पीड़ित होकर श्री भगवान दास, असिस्टेंट प्रोफेसर, द्वारा उच्च न्यायालय, जबलपुर में ट्रांसफर आदेश के विरुद्ध रिट याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता श्री भगवान दास खरवार की ओर से उच्च न्यायालय, जबलपुर में अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा पैरवी करते हुए, उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष तर्क रखते हुए बताया कि श्री खरवार का ट्रांसफर राजनीतिक है।
छात्र नेताओं की शिकायत की तो उन्होंने ट्रांसफर करवा दिया
राजनीतिक पार्टी की छात्र इकाई, जो कॉलेज परिसर में अन्य द्वेष भाव रखने वाले प्राध्यापक के साथ मिलकर, विधि-विरुद्ध गतिविधियों का प्रयास कर रही थी। जिसकी शिकायत श्री खरवार द्वारा प्रशासन एवं पुलिस को की गई थी। परिणामस्वरूप, राजनीतिक शक्तियों का प्रयोग कर, याचिकाकर्ता का ट्रांसफर कर दिया गया। सुनवाई के बाद, मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए, ट्रांसफर आदेश को हाई कोर्ट, जबलपुर द्वारा स्थगित कर दिया गया है।
यह मामला उन अधिकारी और कर्मचारियों के लिए संबल है, जिन्हें नेताओं द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, ट्रांसफर का डर दिखाकर ब्लैकमेल किया जाता है और अनुचित काम करवाए जाते हैं। यह मामला उन नेताओं के लिए सबक है, जिनको लगता है कि पॉलिटिक्स यानी पावर, पॉलिटिक्स यानी प्रशासन को प्रेशर में लेने की आजादी और पॉलिटिक्स यानी मनमानी का लाइसेंस।
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