यदि किसी व्यक्ति को खेत, रास्ते, या किसी अन्य स्थान पर खजाना (Treasure) मिलता है, तो उसे तुरंत इसकी सूचना पुलिस, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM), या जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) को देनी चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो उसे जेल की सजा या जुर्माना हो सकता है। इस लेख में हम भारतीय खजाना निधि अधिनियम 1878 (Indian Treasure Trove Act, 1878) की धाराओं, सजा के प्रावधानों, और इससे जुड़े नियमों को विस्तार से समझेंगे। साथ ही, खजाना कानून, खजाना मिलने की सजा, पुरातत्व खजाना, और सरकारी संपत्ति इत्यादि के बारे में भी जानेंगे।
भारतीय खजाना निधि अधिनियम 1878 - Indian Treasure Trove Act, 1878
यह कानून भारत में खजाना मिलने की स्थिति में उसके स्वामित्व और सूचना देने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। आइए, इसकी प्रमुख धाराओं को समझते हैं:
भारतीय खजाना निधि अधिनियम 1878 की धारा 3 और 4:
यदि किसी व्यक्ति को ₹10 या उससे अधिक मूल्य का खजाना (जैसे सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण, या अन्य मूल्यवान वस्तुएं) मिलता है, तो उसे इसकी सूचना प्रशासन को देना अनिवार्य है। सूचना नहीं देना अपराध घोषित किया गया है।
भारतीय खजाना निधि अधिनियम 1878 की धारा 8:
यदि खजाना 100 वर्ष से अधिक पुराना है, तो इसे सरकारी संपत्ति (Government Property) माना जाता है। ऐसे खजाने को पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) या सरकार के पास जमा करना होता है।
सजा का प्रावधान (धारा 20):
खजाना मिलने की सूचना न देने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि लोग खजाने को छिपाने की बजाय सरकार को सूचित करें।
उदाहरण
मान लीजिए, राजू को अपने खेत में खुदाई के दौरान एक पुराना घड़ा मिलता है, जिसमें सोने के सिक्के हैं। उसे तुरंत स्थानीय पुलिस या SDM को सूचित करना चाहिए। यदि सिक्के 100 साल से अधिक पुराने हैं, तो वे सरकारी संपत्ति होंगे। सूचना देने पर सरकार खजाने का मूल्यांकन करेगी और उचित निर्णय लेगी। यदि राजू सूचना नहीं देता और खजाना छिपाता है, तो उसे जेल या जुर्माना हो सकता है।
खजाना मिलने पर क्या करें?
तुरंत सूचना दें: स्थानीय पुलिस, SDM, या जिला मजिस्ट्रेट को खजाने की जानकारी दें।
खजाने को न छुएं: पुरातत्व महत्व के खजाने को नुकसान पहुंचाने से बचें।
कानूनी प्रक्रिया का पालन करें: प्रशासन खजाने का मूल्यांकन करेगा और यह तय करेगा कि वह सरकारी संपत्ति है या नहीं। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।