Chardham Yatra 2025: बद्रीनाथ में अलकनंदा नदी रौद्र रूप में, पानी तप्त कुंड तक पहुंचा, श्रद्धालु सहमें

Bhopal Samachar

बद्रीनाथ (चमोली) चारधाम यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं के लिए यह खबर चिंता और सतर्कता का संदेश लेकर आई है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम में सोमवार शाम उस वक्त हड़कंप मच गया, जब अलकनंदा नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ने लगा और देखते ही देखते पानी पवित्र तप्त कुंड की दीवारों तक पहुंच गया। इस अप्रत्याशित घटना से मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालु और स्थानीय लोग भयभीत हो उठे।

बारिश से भरी तेज हवाओं के बीच अलकनंदा का प्रवाह न सिर्फ गति में था, बल्कि दिशा में भी असामान्य रूप से बदल गया। नदी का पानी बहते हुए तप्त कुंड से सटी वराह शिला को पार करने लगा, जिससे वहां मौजूद श्रद्धालुओं को आनन-फानन में सुरक्षित स्थानों की ओर हटाया गया।

तीर्थस्थल में पहली बार ऐसा दृश्य, जल में डूबीं तप्त कुंड की 12 शिलाएं

स्थानीय तीर्थपुरोहितों के अनुसार, यह पहला मौका था जब तप्त कुंड की सभी 12 शिलाएं एक साथ जल में डूब गईं। तीर्थ पुरोहित संगठन के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी ने बताया कि "मैंने जीवन में पहली बार ऐसा दृश्य देखा है। यह निश्चित रूप से खतरे की घंटी है, और इसका संबंध निर्माण कार्यों से है जो नदी के प्रवाह को बाधित कर रहे हैं।"

बद्रीनाथ मंदिर के ठीक नीचे हो रहे मास्टर प्लान के निर्माण को लेकर पहले भी चेतावनियां दी गई थीं। नदी किनारे किए जा रहे खुदाई और बोल्डर हटाने के कार्य के कारण अलकनंदा की दिशा प्रभावित हुई, जिससे पानी का दबाव सीधे कुंड की ओर बढ़ गया।

प्रशासन सतर्क, श्रद्धालुओं को चेतावनी

घटना के तुरंत बाद प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया और तप्त कुंड के आसपास बैरिकेडिंग कर श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया गया। SDRF और स्थानीय पुलिस बल सतर्कता में लगाए गए हैं। ब्रह्मकपाल क्षेत्र में भी सुरक्षा उपाय सख्त किए गए हैं।

मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है और चारधाम यात्रियों से अपील की है कि वे प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।

मौसम विभाग का अलर्ट और निर्माण कार्यों पर सवाल

मौसम विभाग ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अगले 48 घंटों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, पर्यावरणविदों ने मास्टर प्लान के तहत जारी निर्माण कार्यों की वैधता और सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने पहले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस तरह के निर्माण के खतरों से आगाह किया था।

गौरतलब है की हाल में उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश के कारण एक मकान ढह गया, जिसमें एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई ।

श्रद्धालुओं में भय, मगर आस्था बरकरार

अचानक हुए इस जलस्तर वृद्धि से जहां एक ओर डर का माहौल बना, वहीं श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई असर नहीं पड़ा। एक दर्शनार्थी ने कहा, "यह भगवान बद्रीविशाल की भूमि है। चाहे जितना जल आए, श्रद्धा में कोई कमी नहीं आएगी।"

क्या कहता है मौसम का मिजाज?

बद्रीनाथ जैसे संवेदनशील तीर्थ स्थल पर नदी का रौद्र रूप दर्शाता है कि पर्वतीय विकास योजनाओं को केवल आधारभूत ढांचे के रूप में नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन के साथ देखा जाना चाहिए। अलकनंदा की यह चेतावनी प्रशासन, योजनाकारों और श्रद्धालुओं सभी के लिए एक गंभीर संदेश है।

Mandeep Sajwan 
Uttarkashi Uttarakhand.

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