यह प्रश्न अब उपस्थित हो जाता है कि क्या शुक्र ग्रह पर जीवन पनप रहा है? इस प्रश्न के उत्तर में पुरानी जानकारी दोहराने से बेहतर है कि 1990 के बाद से लेकर अब तक शुक्र ग्रह से प्राप्त हुए डाटा का गहराई से विश्लेषण किया जाए, क्योंकि भारत की प्राचीन पुस्तकों में शुक्र ग्रह पर जीवन होने और उसे पृथ्वी पर मनुष्यों के हित में नष्ट कर दिए जाने का उल्लेख मिलता है।
शुक्र ग्रह से संबंधित ताजा समाचार
शुक्र ग्रह के बारे में वैज्ञानिक काफी लापरवाह प्रतीत होते हैं। 1990 के दशक में NASA के मैगलन मिशन के दौरान जो डाटा इकट्ठा किया गया था उसका विश्लेषण लगभग 30 वर्ष बाद 2025 में किया जा रहा है। इस दौरान वैज्ञानिकों को एक नई जानकारी मिली है। वैज्ञानिक मानते थे कि शुक्र की सतह बिल्कुल शांत है लेकिन अब पता चला है कि शुक्र (Venus) ग्रह की पपड़ी (क्रस्ट) पृथ्वी की तुलना में पतली और अधिक सक्रिय है। हाल के विश्लेषण में इन आँकड़ों से पता चला कि 75 में से 52 कोरोना में सतह के नीचे हलचल के संकेत हैं।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वीनस एक्सप्रेस (2006-2014) मिशन से पता चला कि शुक्र की सतह पर ज्वालामुखीय गतिविधियों (जैसे लावा प्रवाह) के संकेत मिले। वायुमंडल में बवंडर जैसी हवाएँ और बिजली की संभावना देखी गई।
जापान के अकात्सुकी मिशन (जो 2015 से प्रारंभ हुआ और अभी तक चल रहा है) से पता चला है कि शुक्र के वायुमंडल में विशाल बादल संरचनाएँ और 100 मीटर/सेकंड की गति से चलने वाली तेज़ हवाएँ देखी गईं।
2020 में वैज्ञानिकों ने शुक्र के वायुमंडल में फॉस्फीन गैस के संकेत पाए, जो पृथ्वी पर सूक्ष्मजीवों के जीवन का आधार है। शुक्र की सतह का तापमान लगभग 460 डिग्री सेल्सियस है और वायुमंडल में जहरीली गैसें (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फ्यूरिक एसिड) हैं, जो जीवन के लिए प्रतिकूल हैं। लेकिन शुक्र के ऊपरी वायुमंडल (50-60 किमी ऊँचाई) में तापमान और दबाव पृथ्वी जैसे हैं।
शुक्र ग्रह से जुड़ी प्राचीन कथाएं
भारत के विष्णु पुराण, ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में शुक्र ग्रह का उल्लेख मिलता है। भारत में प्रचलित प्राचीन कथाओं में बताया जाता है कि दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य द्वारा उनके लिए सभी सुविधाओं से संपन्न शुक्र ग्रह का निर्माण किया था। इसके कारण पृथ्वी पर मानव जीवन को संकट उत्पन्न हो गया था। इसलिए भगवान विष्णु ने गुरु शुक्राचार्य को देवताओं में स्थान दिया और शुक्र ग्रह से जीवन समाप्त कर दिया।
इन कथाओं से स्पष्ट होता है कि शुक्र ग्रह की उत्पत्ति बहुत पुरानी नहीं है। 4.54 अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी पर मानव जीवन सिर्फ 4.50 लाख साल पहले शुरू हुआ है। और शुक्र ग्रह का अस्तित्व मानव जीवन के बाद आता है। इस प्रसंग से स्पष्ट होता है कि शुक्र ग्रह पर परिवर्तन काफी तेजी से होता है। पिछले 30 सालों में शुक्र ग्रह पर कई बड़े परिवर्तन देखने को मिले हैं। इस पर गहन अध्ययन करने की जरूरत है क्योंकि भारत की प्राचीन पुस्तकों में शुक्र ग्रह पर जीवन को पृथ्वी ग्रह पर मानव की जीवन के लिए संकट बताया गया है।
भारतीय ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
भारतीय ज्योतिष में शुक्र ग्रह का बड़ा महत्व है। कहा गया है कि इसके कारण मानव जीवन में प्रेम, सौंदर्य, कला, भौतिक सुख, वैवाहिक जीवन, आनंद और वह सभी चीज प्राप्त होती है, जिसको पाने के लिए मनुष्य परिश्रम करते हैं।
यदि हम वैज्ञानिकों द्वारा दी जा रही ताजा जानकारी, भारत की प्राचीन पुस्तकों में उल्लेख और ज्योतिष के संकेत को एक साथ देखें तो ज्यादा बेहतर होगा। क्योंकि शुक्र ग्रह पर होने वाली कोई भी गतिविधि, मानव की जीवन को प्रभावित करती है।
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