Space discovery - अपना चंद्रमा गुस्से से लाल हो रहा है, टेंपरेचर 170 डिग्री सेल्सियस

भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक बताया गया है। जिसके कारण मनुष्य के विचारों में समुद्र के भीतर जैसी उथल-पुथल मची रहती है। भारत में चंद्रमा को एक शीतल (अर्थात ठंडा) ग्रह माना जाता है, लेकिन नेचर पत्रिका में NASA के वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट से खुलासा होता है कि, चंद्रमा गुस्से में है। उसके अंदर तापमान बढ़ रहा है। यह 170 डिग्री सेल्सियस हो गया है। 

GRAIL मिशन क्यों शुरू किया गया

सितंबर 2011 में, नासा ने एक महत्वाकांक्षी मिशन लॉन्च किया, जिसका नाम था ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL)। इस मिशन में दो अंतरिक्ष यान, जिन्हें प्यार से ईब (Ebb) और फ्लो (Flow) नाम दिया गया, चंद्रमा की कक्षा में भेजे गए। इनका काम था चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (gravitational field) का बारीकी से अध्ययन करना। वैज्ञानिकों का मानना था कि गुरुत्वाकर्षण के उतार-चढ़ाव से चंद्रमा की आंतरिक संरचना (lunar interior) के बारे में सुराग मिल सकते हैं। 

GRAIL मिशन की आश्चर्यजनक खोज

2012 में, ईब और फ्लो ने चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाते हुए डेटा इकट्ठा करना शुरू किया। ये यान एक-दूसरे के साथ मिलकर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को माप रहे थे, जैसे दो दोस्त जो आपस में संदेश भेजकर किसी रहस्य को सुलझा रहे हों। इस डेटा ने वैज्ञानिकों को चंद्रमा के मेंटल (mantle) (उस परत जो चंद्रमा की सतह के नीचे होती है) के बारे में नई जानकारी दी। उन्होंने पाया कि निकटवर्ती और दूरवर्ती पक्षों के मेंटल की विकृत होने की क्षमता (ability to deform) में 2–3% का अंतर है। यह एक छोटा-सा अंतर था, लेकिन इसका मतलब बड़ा था।

डेटा का विश्लेषण और परिकल्पनाएँ

2013–2020 के दौरान में, वैज्ञानिकों ने इस डेटा को गहराई से विश्लेषण किया। रयान पार्क और उनकी टीम ने मॉडल बनाए और पाया कि निकटवर्ती पक्ष का मेंटल दूरवर्ती पक्ष की तुलना में 100–200 केल्विन (लगभग 170 डिग्री सेल्सियस) गर्म है। लेकिन सवाल था, यह गर्मी क्यों? उन्होंने एक परिकल्पना दी कि शायद निकटवर्ती पक्ष में थोरियम और टाइटेनियम (thorium and titanium) जैसे तत्वों का रेडियोएक्टिव क्षय (radioactive decay) इस गर्मी का कारण है। यह क्षय 3–4 अरब साल पहले की उस ज्वालामुखी गतिविधि (volcanic activity) से जुड़ा हो सकता है, जिसने निकटवर्ती पक्ष को लावा से भर दिया था।

चंद्रमा की geology के अध्ययन में मिल का पत्थर

साल 2025 में, इस खोज ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा जब यह नेचर (Nature) पत्रिका में प्रकाशित हुई। वैज्ञानिकों ने न केवल चंद्रमा के आंतरिक भाग (lunar interior) में तापीय असममिति (thermal asymmetry) की पुष्टि की, बल्कि यह भी बताया कि यह असममिति निकटवर्ती पक्ष की गहरी, लावा-प्रभुत्व वाली सतह और दूरवर्ती पक्ष की मोटी, ऊबड़-खाबड़ क्रस्ट (crustal thickness) के अंतर को समझाती है। यह खोज चंद्रमा के भूविज्ञान (geology) को समझने में एक मील का पत्थर थी।

कहानी तो अब शुरू हुई है...

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। वैज्ञानिकों ने यह भी सुझाया कि GRAIL मिशन की तकनीकें, जो बिना सतह पर उतरे काम करती हैं, अन्य ग्रहीय पिंडों जैसे मंगल (Mars), एनसेलाडस (Enceladus), और गैनिमेड (Ganymede) की आंतरिक संरचना को समझने में मदद कर सकती हैं। इस तरह, चंद्रमा की यह कहानी न केवल उसके अपने रहस्यों को खोलती है, बल्कि पूरे ब्रह्मांड को समझने की नई राहें भी दिखाती है।

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