जब किसी अपराध की Complaint कोई व्यक्ति डारेक्ट Magistrate के समक्ष करता है। तब मजिस्ट्रेट ऐसे शिकायतकर्ता (complainant) की परीक्षा (Examination) ले सकता है एवं साक्षियों से भी शपथ (Pledge) लेगा और परिवादी अर्थात शिकायतकर्ता के बयानों को लेखबद्ध कर हस्ताक्षर करेगा। उसके बाद Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita की धारा 225 में बताया गया है कि मजिस्ट्रेट का यह कर्तव्य होगा कि वह अपराध के मामले कि संज्ञान लेकर मामले की Inquiry या Investigation करवाए। जांच के बाद Magistrate कब परिवाद को खारिज करेगा आज के लेख में हम बताते हैं जानिए।
BHARATIYA NAGARIK SURAKSHA SANHITA, 2023 की धारा 226 की परिभाषा
परिवाद का खारिज किया जाना (Dismissal of Complaint) - कोई भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) या प्राधिकृत मजिस्ट्रेट ?(Authorized magistrate) किसी परिवाद का संज्ञान ले रहा है एवं वह स्वयं या पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति से अपराध की जांच करवा दी है एवं Magistrate को लगता है कि आरोपी या प्रतिवादी के अपराध सिद्ध होने के कोई समुचित आधार नहीं है तब वह मजिस्ट्रेट परिवाद को खारिज (Dismiss the libel) कर सकता है।
निम्न दो कारण भी परिवाद खारिज के आधार है (The following two reasons are also the basis for dismissal of the complaint):-
1. यदि मजिस्ट्रेट यह पता है कि कोई अपराध हुआ ही नहीं है तब।
2. यदि मजिस्ट्रेट परिवादी के वक्तव्यों पर विश्वास नहीं करता है तब।
लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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