यदि आप मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी प्राप्त करना चाहते हैं और आपके पिता Madhya Pradesh Public Health Engineering Department विभाग में है तो आपको मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा आयोजित किसी भी भर्ती परीक्षा में शामिल होने की जरूरत नहीं है। आपको बड़ी आसानी से अनुकंपा नियुक्ति मिल जाएगी, जबकि आपके पिता न केवल जीवित रहेंगे बल्कि नौकरी भी करते रहेंगे। यह हुआ है और ग्वालियर के सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है।
डॉक्यूमेंट में मरने के बाद भी बाप, बेटे के साथ नौकरी कर रहा था
मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, ग्वालियर में काम करने वाले एक कर्मचारी का नाम भूप सिंह है। वह चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है। उसके दो बेटे हैं। बड़े बेटे का नाम रवि राजपूत और छोटे बेटे का नाम पुष्पेंद्र राजपूत है। दोनों भाइयों का कोई दूसरा पिता नहीं है लेकिन फिर भी दोनों भाइयों को MPPHED में अनुकंपा नियुक्ति मिली है। बड़े बेटे रवि राजपूत को 5 सितंबर 2008 को कार्यभारित स्थापना में हेल्पर के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई। इस हिसाब से भूप सिंह की मृत्यु 5 सितंबर 2008 के पहले हो जानी चाहिए थी परंतु वह न केवल जीवित थे बल्कि नौकरी भी कर रहे थे।
30 अक्टूबर 2021 को भूप सिंह की मृत्यु हुई। छानबीन समिति ने फरवरी 2023 में निर्णय लिया कि कार्यभारित पंप अटेंडर कम ड्रायवर भूप सिंह की मृत्यु के बाद उनके छोटे लड़के पुष्पेंद्र राजपूत को अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है। पुष्पेंद्र को कार्यभारित स्थापना में (अराज्यस्तरीय) रिक्त चौकीदार के पद पर पदस्थ किया जाता है। मृत्यु के समय भूप सिंह को कार्यपालन यंत्री, पीएचई संधारण खंड क्रमांक-2 मोतीझील में पदस्थ होना बताया गया।
MPPHED विभाग में कितने भूप सिंह
आरएलएस मौर्य, चीफ इंजीनियर, पीएचई, ग्वालियर ने इस समाचार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, ये संभव ही नहीं है कि एक कर्मचारी की दो बार मृत्यु हो और हर बार उसके परिजन को अनुकंपा नियुक्ति मिल जाए। जब उनको बताया गया कि इस मामले में सरकारी डॉक्यूमेंट ही एविडेंस है तो उन्होंने कहा कि, मैं इसकी जांच करूंगा और एक्शन भी लिया जाएगा। सवाल यह नहीं है कि, भूप सिंह ने जिंदा रहते अपने बड़े लड़के को अनुकंपा नियुक्ति दिलवाई और करने के बाद छोटे लड़के को अनुकंपा नियुक्ति मिली बल्कि सवाल यह है कि मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य यंत्र की विभाग में ऐसे कितने भूप सिंह (कर्मचारी) हैं। क्योंकि भूप सिंह चालाक नहीं हो सकता। भूप सिंह जैसे लोगों की हिम्मत ही तब बनती है, जब कई लोग ऐसा कर चुके होते हैं। जरूरी है कि मुख्यमंत्री कार्यालय इस मामले में हस्तक्षेप करे और mp phed में हुई सभी प्रकार की अनुकंपा नियुक्तियों की जांच की जाए।
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