एक बार फिर हाईकोर्ट आफ मध्यप्रदेश ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि अतिथि शिक्षक या अतिथि विद्वान के स्थान पर केवल नियमित शिक्षक या प्रोफेसर को ही नियुक्त किया जा सकता है। अतिथि शिक्षक या अतिथि विद्वान को हटाकर अतिथि शिक्षक या अतिथि विद्वान को नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
ज्योति आर्या ने न्याय की लड़ाई 4 साल तक लड़ी
ज्योति आर्या ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौरव समाधिया ने तर्क दिया कि ज्योति आर्या 20 जुलाई 2013 से अतिथि शिक्षक के पद पर कार्य कर रही थी, लेकिन 2021 में उन्हें हटा दिया गया। कहा गया कि फिर से भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना होगा। विभाग ने जो फैसला लिया है, वह गलत है। नए भर्ती के साथ उनकी तुलना नहीं की जा सकती है। जब तक नियमित शिक्षक नहीं आता है पुराने अतिथि शिक्षक को नहीं हटाया जा सकता है। उसकी जगह नया अतिथि शिक्षक नहीं ला सकते हैं। हाईकोर्ट ने इस दलील से सहमत होते हुए उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें ज्योति आर्या को अतिथि विद्वान के पद से हटाया गया था।
हाईकोर्ट का यह फैसला उस समय आया है जब मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अतिथि शिक्षकों को हटाया जा चुका है और नए सिरे से रजिस्ट्रेशन करवाए जा रहे हैं जबकि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी कॉलेजों में सेवाएं दे रहे 4700 से ज्यादा अतिथि विद्वानों की सेवाएं खत्म करने का सिलसिला शुरू हो गया है।
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