GWALIOR NEWS - बाबा अंबेडकर के नाम पर नेतागिरी चमकाने वाले को वकीलों ने पीटा, भीम आर्मी का स्पष्टीकरण

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हाई कोर्ट परिसर में बिना अनुमति के, जबरदस्ती और बार एसोसिएशन के विरोध के बावजूद डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने की कोशिश करने वाले रूपेश केन और उनके समर्थकों को वकीलों ने पुलिस की मौजूदगी में जमकर मारा पीटा। भीम आर्मी एकता मिशन के जिला संयोजक ने कहा है कि, प्रदर्शन करने वाले रूपेश कैन से भीम आर्मी का कोई संबंध नहीं है। वकीलों का कहना है कि, इस मुद्दे के माध्यम से वह अपनी नेतागिरी चमकाने चाहता है। अपना निष्कासन समाप्त करवाना चाहता है। 

यह हाई कोर्ट का परिसर है कोई गली मोहल्ला नहीं

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के ग्वालियर परिसर में डॉ आंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। भीम आर्मी के नाम पर बयान जारी किए जा रहे हैं। इसी प्रकार के एक बयान की प्रतिक्रिया में ग्वालियर के अधिवक्ताओं की ओर से कहा गया था कि, यह उच्च न्यायालय का परिसर है कोई गली मोहल्ला नहीं है। यहां पर नियम विरुद्ध कोई काम नहीं किया जा सकता है। इसके जवाब में शनिवार को भीम आर्मी के नेता के रूप में बयान जारी करने वाले रूपेश केन अपने समर्थकों के साथ ग्वालियर उच्च न्यायालय परिसर के अंदर पहुंच गए। उन्होंने बिना अनुमति जबरदस्ती प्रवेश करने की कोशिश की। मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया परंतु वह नहीं माने। यह देखकर हाईकोर्ट के अधिवक्ता भी एकजुट हो गए। दोनों पक्षों की ओर से तनाव बढ़ता चला गया। भीम आर्मी के नाम पर आए लोगों की तरफ से हिंसा का प्रयास किया गया तो जवाब में अधिवक्ताओं ने जबरदस्ती उच्च न्यायालय परिसर में घुसने की कोशिश करने वाले सभी लोगों को खदेड़ दिया। 

एएसपी कृष्ण लालचंदानी ने कहा-

आज एक डेट दी गई थी जिस पर डिसाइड होना था कि मूर्ति की स्थापना कब और कैसे की जाएगी। इसके बाद वहां दो पक्षों में झड़प हुई है। पुलिस ने हालात को नियंत्रण में लिया है। अब इस मामले में 19 मई की तारीख निर्धारित की गई है।

भीम आर्मी ने कहा-रूपेश केन पहले से निष्कासित है 

इधर, इस मामले में शनिवार को भीम आर्मी ने बयान जारी किया है। भीम आर्मी के जिला संयोजक स्वतंत्र पाराशर ने कहा कि जिस रूपेश केन से मारपीट की गई है, उन्हें विधानसभा चुनाव 2023 में भीम आर्मी से 6 साल के लिए निष्कासित किया है। भीम आर्मी एकता मिशन से उनका कोई लेना-देना नहीं है, न ही वे सदस्य हैं और न कार्यकर्ता। 

जातिगत तनाव नहीं निष्कासन वापसी की पॉलिटिक्स

ग्वालियर में कुछ लोग इस मामले को जातिगत तनाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भीम आर्मी की ओर से स्पष्टीकरण आने के बाद भी इस मामले में भीम आर्मी का नाम लिया जा रहा है। जबकि अधिवक्ताओं का कहना है कि, मूर्ति के लिए राजनीति करने वाले लोगों का संविधान और कानून से कोई वास्ता ही नहीं है। रूपेश को भीम आर्मी ने निष्कासित कर दिया है। वह अपना निष्कासन समाप्त करवाना चाहता है इसलिए कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है ताकि उसका नाम हेडलाइंस में बना रहे और वह ग्वालियर का सबसे बड़ा अंबेडकर अनुयाई कहलाए। 

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