मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव लाखों शासकीय कर्मचारियों के पिछले 9 साल से रुके हुए प्रमोशन के मामले को सॉल्व करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। कर्मचारी संगठनों के बीच में GAD के प्रमोशन फार्मूले को लेकर विवाद की स्थिति बन रही थी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अपने घर बुलाया और मंगलवार 13/5 को प्रमोशन का नया फार्मूला दिया।
शिवराज सिंह ने कर्मचारियों के प्रमोशन बंद करवा दिए थे
2002 में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण की नीति लागू की थी। इस नीति को 2016 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनों ने कर्मचारियों के प्रमोशन की प्रक्रिया को स्थगित नहीं किया था। यहां तक कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने तीन बार प्रमोशन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए, लेकिन राज्य सरकार ने इन आदेशों का पूरी तरह पालन नहीं किया। इस दौरान लगभग 1 लाख कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो गए।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के द्वारा घोषणा किए जाने के बाद राज्य सरकार ने यह प्रक्रिया चालू की लेकिन पदोन्नति के लिए बनाए जा रहे सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के फार्मूले पर सहमति नहीं बन पा रही है। कर्मचारी संगठनों का विरोध आड़े आ रहा है। ऐसे में पदोन्नतियों पर अंतिम फैसला टाल दिया गया है। इसकी समय सीमा करीब दो सप्ताह आगे बढ़ गई है।
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