209 BNS - कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर 7 वर्ष जेल की सजा का प्रावधान, जानिए

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 84 की उपधारा 01,02,एवं 03 में बताया गया है कि आरोपी अगर फरार हो गया है, तो उसे न्यायालय में हाजिर होने के लिए एक उद्दघोषणा जारी होगी। यह उद्दघोषणा आरोपी के स्थाई, अस्थाई, निवास एवं न्यायालय परिसर के साथ साथ लोकल न्यूज पेपर में भी प्रकाशित होगी। अगर आरोपी उद्दघोषणा के तीस दिन के पश्चात न्यायालय में हाजिर नहीं होता है। तो उसे भारतीय नागरिक संहिता, 2023 की धारा 209 के अंतर्गत 7 वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

भारतीय नागरिक संहिता, 2023 की धारा 84 उपधारा 04 की परिभाषा 

अगर कोई व्यक्ति पर निम्न अपराध का आरोप है:-
1. हत्या, मानव वध,हत्या या चोट करने के लिए अपहरण करना। 
2. चोरी करने के लिए किसी की हत्या करना, चोट पहुंचाना।
3. लूट करना, लूट के लिए हत्या या चोट पहुंचाना।
4. डकैती करना, डकैती का प्रयास करना, डकैती की तैयारी करना, डाकू की गैंग में शामिल होना एवं हथियार लेकर डाकू के साथ एकत्रित रहना।
5. मकान, घर, निवास में आग लगाना, घर में हत्या करने के लिए या चोट करने के लिए आग लगाना। 
6. रात मे किसी के मकान या निवास में हत्या या चोट करने के लिए घुसना।
इन अपराधों की उद्दघोषणा के बाद अगर कोई आरोपी स्वयं को तीस दिन के पाश्चात् न्यायालय में हाजिर नहीं करता है तो क्या दंड का प्रावधान होगा जानिए।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 209 ए की परिभाषा

जो कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 84 उपधारा 04 में वर्णित अपराध का आरोपी है और उद्दघोषणा के तीन दिन के भीतर वह स्वयं को न्यायालय में हाजिर नहीं करता है तो वह BNS की धारा 209 के अंतर्गत दोषी होगा। 

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 209 Provision of punishment

"यह अपराध,संज्ञेय एवं अज़मानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डारेक्ट एफआईआर दर्ज हो सकती है, एवं अपराध के लिए प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकते हैं। इस अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।

फरार व्यक्ति अग्रिम जमानत का हकदार नहीं

*"स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश बनाम प्रदीप शर्मा" मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिनिर्धारित किया गया की कोई भी फरार आरोपी अग्रिम जमानत का हकदार नहीं होगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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