मध्य प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के मंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला बैक फुट पर नजर आ रहे हैं। सीधी की विधायक प्रीती पाठक ने 7 करोड रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है। इसके बाद उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात भी हो गई है। घटना के पांचवें दिन जब उनसे सवाल जवाब किए गए तो उनके पास मूल प्रश्न का कोई उत्तर नहीं था।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और विधायक प्रीती पाठक के बीच तनाव साफ-साफ दिखा
सीधी विधानसभा की विधायक श्रीमती रीति पाठक ने दिनांक 18 जनवरी 2025 को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में सीधी जिला चिकित्सालय के लिए आवंटित किए गए 7 करोड रुपए के गायब होने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि, डिप्टी सीएम श्री राजेंद्र शुक्ल को चिट्ठी लिखी गई परंतु उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। यानी स्पष्ट है कि श्री शुक्ल के पास इस मामले की जानकारी पहले से थी। कार्यक्रम के फोटो देखने पर यह भी स्पष्ट होता है कि, दोनों के बीच पहले ही इस बारे में बातचीत हो गई थी। कार्यक्रम के फोटो वीडियो में डिप्टी सीएम श्री राजेंद्र शुक्ल के चेहरे पर तनाव दिखाई दे रहा है। सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए जाने के 4 दिन बाद जब दैनिक भास्कर भोपाल के पत्रकार ने श्री राजेंद्र शुक्ला से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने हर सवाल का गोल-गोल जवाब दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि सीधी जिले के 7 करोड रुपए कहां है।
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का स्पष्टीकरण
डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि विधायक ने जो कुछ भी कहा था, वो विकास की बात को लेकर था, इसमें कोई बुराई नहीं है। इससे आपको समझना चाहिए कि बीजेपी के विधायक विकास को लेकर कितने संवेदनशील और समर्पित हैं। हर विधायक चाहते हैं कि हमारे क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा काम हो। स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में विकास को लेकर जो बात कही उसमें बुराई क्या है? मंच पर हो या मंच के बाहर हो, अगर कोई विधायक अपने क्षेत्र के विकास को लेकर अपनी बात कह रहा है, उसे हम हमेशा सकारात्मक भाव से लेते हैं और पता करते हैं कि जो बातें बता रही हैं उसका पैसा मंजूर हुआ है या नहीं हुआ है। इसे पता कराते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है।
7 करोड रुपए कहां गायब हो गए
स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल ने पूरे बयान के दौरान एक भी बार यह नहीं बताया कि जिस 7 करोड रुपए की बात हो रही है। वह कहां गायब हो गए हैं। यदि श्री राजेंद्र शुक्ला इस विषय को सकारात्मक लेते हैं तो फिर कार्यक्रम के दौरान उनके चेहरे पर तनाव क्यों था। मामला गंभीर है। यदि अपनी ही पार्टी का विधायक भरे मंच से मंत्री की मौजूदगी में इस तरह का आरोप लगता है तो इसे सकारात्मक तौर पर नहीं देखा जा सकता बल्कि इसका सिर्फ एक अर्थ होता है। विधायक की जब कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई तब उसने जनता के बीच में सवाल पूछा, ताकि मामले का मीडिया ट्रायल हो सके।