एक तरफ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में खतरनाक मांगुर मछली की खुली बिक्री के समाचार आ रहे हैं और दूसरी तरफ मत्स्य विभाग की टीम जब छापा मारती है तो उसे कुछ भी नहीं मिलता है। आज इतवारा मछली मार्केट में छापा मारा गया। सरकारी अधिकारियों को मांगुर मछली की पूंछ तक नहीं मिली। इसी के साथ अब यह विषय एक मुद्दा बन गया है। या तो समाचार गलत है या फिर मत्स्य विभाग के अधिकारी फर्जी छापामारी कर रहे हैं।
खबरें मिलती हैं लेकिन मांगुर मछली नहीं मिलती: अग्निहोत्री
संभागीय जनसंपर्क कार्यालय भोपाल से प्रेस को जानकारी दी गई है कि, इंसानों के लिए घातक मानी जानी वाली मांगुर मछली के पालन और बिक्री पर सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद कुछ लोग ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में इन मछलियों का पालन और व्यवसाय कर रहे हैं। मत्स्य विभाग ने सूचना मिलने के बाद इतवारा मछली मार्किट मे छापा मारा हलाकि छापा में कुछ नहीं मिला टीम को बैरंग लौटना पड़ा। मत्स्य विभाग के सहायक संचालक श्री शिरीष अग्निहोत्री के नेतृत्व में कार्यवाही की गई है। सहायक संचालक श्री शिरीष अग्निहोत्री ने बताया कि इससे पहले हबीबगंज मार्किट मे भी रेड की थी वहाँ भी कुछ नहीं मिला था हलाकि खबरें बराबर मिल रही है ये कार्यवाही लगातार चलती रहेगी।
पकड़ नहीं पा रहे तो इनाम घोषित कर दो
प्रशासन की ओर से भेजे गए इस समाचार के साथ ही, मत्स्य विभाग के अधिकारियों की योग्यता पर प्रश्न उपस्थित हो गया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि, श्री शिरीष अग्निहोत्री और उनकी टीम फर्जी छापामार कार्रवाई कर रही है। या फिर कहीं ऐसा तो नहीं की श्री श्री अग्निहोत्री की टीम में कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी ऐसा है जो छापे की खबर लीक कर देता है। यदि मत्स्य विभाग के अधिकारी स्वयं को निर्दोष घोषित करना चाहते हैं तो उन्हें मांगुर मछली पर इनाम घोषित कर देना चाहिए। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में प्रवेश कर रहे हैं। वीडियो रिकॉर्डिंग और एक सिंपल से मोबाइल से लाइव टेलीकास्ट बड़ी आसान बात है। अब देखते हैं कि अग्निहोत्री जी मांगुर मछली पकड़ना चाहते हैं या नहीं।
मांगुर मछली खाने से क्या नुकसान होता है
सरकार द्वारा मांगुर मछली पर प्रतिबंध लगाने के पीछे इससे होने वाला पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान है। मांगुर मछली के खाने से कैंसर और कई गंभीर रोग हो सकते हैं। यह मछली मांस खाती है, जिसकी वजह से इसका शरीर बहुत तेजी से बढ़ता है। मांगुर मछली में आयरन और लेड बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण यह इंसान और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक है। कहा जाता है कि मांगुर मछली जिस तालाब या जलाशय में रहती है, वहां दूसरी प्रजाति की एक भी मछली या कीड़े-मकोड़े तक नहीं बचते। यह मछली दूसरी मछलियों को भी अपना शिकार बनती है।