KAMALNATH - हाई कमान से नजदीकी बढ़ाने दिल्ली जाएंगे, राहुल के साथ राजनीति करेंगे

कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को बच्चे और पप्पू जैसे नाम कमलनाथ और उनके कम उम्र नेताओं द्वारा दिए गए थे। कमलनाथ ने तो राहुल गांधी को अपना नेता करने से साफ इनकार कर दिया था लेकिन 2019 से 2024 तक हर चुनाव हारने और आसमान से जमीन पर धड़ाम गिर जाने के बाद, खबर आ रही है कि कमलनाथ वापस दिल्ली जा रहे हैं। वहां हाई कमान से नजदीकी बढ़ाएंगे। कुछ समय तक के लिए राहुल के साथ राजनीति केंद्र की राजनीति करेंगे और इस बार मध्य प्रदेश में यदि कांग्रेस पार्टी जीत जाती है, तभी लौट कर आएंगे। 

लोग कमलनाथ से मिलने तक नहीं आ रहे थे

2023 के विधानसभा चुनाव से पहले तक स्थिति यह थी कि कमलनाथ के पास लोगों से मिलने का समय नहीं था, और 2024 के लोकसभा चुनाव एवं छिंदवाड़ा में हुए विधानसभा के उपचुनाव के बाद स्थिति यह हो गई कि लोग कमलनाथ से मिलने नहीं आ रहे थे। लोग जब दिल्ली नहीं आए तो कमलनाथ छिंदवाड़ा आ गए। यहां भी लोग नहीं आए तो कमलनाथ भोपाल आ गए। समर्थन मिलने नहीं आए तो रक्षाबंधन के लिए महिलाओं को बुलाया लेकिन कांग्रेस पार्टी की महिला कार्यकर्ता भी नहीं आई। एक समय था जब कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह को अपने अंडर में कर लिया था। आज स्थित है कि दिग्विजय सिंह ने पूरी कांग्रेस को कमलनाथ के अंडर से बाहर निकाल लिया है। 

कमलनाथ चाहते हैं, कम से कम सम्मान तो बचा रहे

कमलनाथ राष्ट्रीय महासचिव सहित पार्टी के कई पदों पर रह चुके हैं। एक समय ऐसा भी था जब गांधी परिवारों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहता था। तब कमलनाथ ने मना कर दिया था परंतु अब कमलन चाहते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़की की टीम में किसी ऐसे पद पर नियुक्त कर दिया जाए, जिसकी बदौलत वह किसी राज्य में जाएं तो पार्टी प्रोटोकॉल मिल सके। कहां जा रहा है कि गांधी परिवार भी इस बात से सहमत है कि, बुढ़ापे के समय उन्हें कांग्रेस पार्टी में काम से कम कोई एक ऐसा पद दे दिया जाए, जिससे उनका सम्मान और वरिष्ठता बनी रहे। 

बागेश्वर वालों से मुलाकात के बाद दिल्ली दौड़ शुरू हुई थी

बताने की जरूरत नहीं की बागेश्वर वाले श्री धीरेंद्र कृष्ण गर्ग "शास्त्री" भारतीय जनता पार्टी का खुला समर्थन करते हैं और राहुल गांधी के विचारों का विरोध भी करते। इसके बावजूद श्री कमलनाथ नियमित रूप से उनसे मिलते रहे। हाल ही में कमलनाथ ने छतरपुर जाकर बागेश्वर वालों से मुलाकात की थी। यहां उन्हें जो कुछ भी ज्ञान प्राप्त हुआ उसके बाद उन्होंने दिल्ली दौड़ शुरू कर दी। 

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