मध्य प्रदेश सरकार, कच्चे कर्मचारियों के लिए फैसला कब लेगी, अब तो हरियाणा में भी कर दिया - NEWS

हरियाणा राज्य सरकार ने प्रदेश के विभिन्न विभागों में कॉट्रैक्ट पर कार्यरत 1.20 लाख कर्मचरियों (संविदा कर्मचारियों) को पक्का (नियमित) करने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इस फैसले का ऐलान खुद मीडिया में किया है। इसी के साथ एक बार फिर मध्य प्रदेश के अस्थाई कर्मचारियों में डॉ मोहन यादव सरकार के प्रति संतोष की स्थिति बन रही है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव से पहले कर्मचारियों से जो वादे किए थे, वह अब तक पूरे नहीं हुए हैं।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से एक मुद्दा छीन लिया

मुख्यमंत्री ने राज्य के विभिन्न विभागों में कार्य करने वाले इन कर्मचारियों को पक्का करने के लिए नौ अधिकारियों की टीम बनाई थी। सरकार ने इन्हीं अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद इन्हें पक्का करने का फैसला किया है। राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और आप इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरते आए हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने चुनावों में जाने पहले अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों की बड़ी मांग को पूरा कर दिया है। इससे पहले राज्य सरकार ने किसानों की फसलें एमएसपी पर खरीदने का फैसला लिया था।

क्या है हरियाणा सरकार का फैसला

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि कैबिनेट में अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों का प्रस्ताव रखा गया था। सरकार ने सभी का भविष्य सुरक्षित करने का फैसला किया है। सरकार एक एक्ट लाकर उनकी सेवा को सुरक्षित करेगी। इससे आउटसोर्स और एचकेआरएन के तहत काम कर रहे 1.20 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा। सीएम ने कहा कि कच्चे कर्मचारियों को पे स्केल का बेसिक वेतन भी मिलेगा। सालाना वेतन वृद्धि का लाभ भी कच्चे कर्मचारियों को इस फैसले के तहत दिया जाएगा।

अनुभव के हिसाब से मिलेगा वेतन

कैबिनेट के फैसले के अनुसार पांच साल या इससे ज्यादा जिन कर्मचारियों का समय हो गया है, उनको इसका फायदा मिलेगा. जिन कर्मचारियों को 5 साल या इससे ज्यादा समय नौकरी में हो चुका है। उन्हें न्यूनतम पे स्केल का 5 प्रतिशत अधिक वेतन मिलेगा। इसी प्रकार आठ साल वाले कर्मचारियों को न्यूनतम पे स्केल का 10 प्रतिशत अधिक वेतन मिलेगा। जिन कर्मचारियों की नौकरी इससे अधिक है उन्हें न्यूनतम पे स्केल का 15 प्रतिशत अधिक वेतन मिलेगा।

मध्यप्रदेश सरकार कब लेंगी ऐसा निर्णय

हरियाणा की तरह ही मध्यप्रदेश में लाखो कर्मचारी है जो अस्थाई तौर पर काम कर रहे है। जिसमे संविदा कर्मचारी, आउटसोर्स कर्मचारी, अतिथि विद्वान, अतिथि शिक्षक, जनभागीदारी के तहत पॉलिटेक्निक और सरकारी महाविद्यालायो में कार्यरत कर्मचारी, वर्षो से नियमित होने की राह देख रहे है। 

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