शुभरंजन सेन को बाघों की मौत के कारण नहीं हटाया गया, स्पष्टीकरण और उसकी समीक्षा - NEWS TODAY

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से प्रकाशित प्रतिष्ठित समाचार पत्र नवदुनिया, भोपाल के दिनांक 23.08.2024 के अंक में "बाघों की मौत के विवाद में हटाए गए वन्यप्राणी अभिरक्षक शुभरंजन सेन" शीर्षक से प्रकाशित समाचार के संबंध में मध्य प्रदेश शासन की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है। 

शुभंरजन सेन तो बड़ा अच्छा काम कर रहे थे

स्पष्टीकरण में बताया गया है कि, प्रकाशित समाचार में वन अधिकारी श्री शुभंरजन सेन द्वारा वन्यप्राणी प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए प्रयासों को अनदेखा किया गया। बांधवगढ़ बाघ संरक्षित क्षेत्र में वर्ष 2024 की अवधि में बाघों की मौत के संबंध में वन मुख्यालय द्वारा निरंतर समीक्षा कर कार्यवाही की गई है। श्री शुभरंजन सेन द्वारा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान तथा उसके समीप के क्षेत्रों में बाघों की सुरक्षा को लेकर तथ्यात्मक प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए जांच समिति का गठन किया गया। इस समिति द्वारा की गई अनुशंसाओं पर वन मुख्यालय स्तर से भी कार्यवाही की गई। 

शुभंरजन सेन के पास तो अतिरिक्त प्रभार था

मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग द्वारा दिनांक 21.08.2024 को जारी आदेश द्वारा प्रशासनिक आधार पर श्री बी. एन. अम्बाड़े प्रधान मुख्य वन संरक्षक (कार्य आयोजना एवं वन भू-अभिलेख) को प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी के पद पर अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक पदस्थ किया गया है। यहां यह उल्लेखित करना प्रासंगिक है कि डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के माह जून 2024 में सेवानिवृत्त होने के बाद श्री शुभरजन सेन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मानव संसाधन विकास) को अस्थाई रूप से वन्यप्राणी शाखा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। 

स्पष्टीकरण में भी लुका छुपी - सवालों के जवाब तो दिए नहीं

नव दुनिया ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि शुभ रंजन सेन के कार्यकाल में, तीन साल में केवल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही 34 बाघों की मौत हो गई। वहीं अन्य नौ बाघों की मौत शहडोल क्षेत्र में हुई। इस तरह कुल 43 बाघों की मौतों पर एसआईटी ने एक रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन शुभरंजन सेन इस रिपोर्ट को छुपाते रहे और अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। 
स्पष्टीकरण में स्पष्ट नहीं किया गया है कि शुभ रंजन सेन ने किस अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की। 

नवदुनिया ने खुलासा किया है कि, रिपोर्ट में बाघों की मौत के पीछे अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सक्रिय होने का अंदेशा जताया गया था। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की भी बात कही गई थी और इस दिशा में जांच की अनुशंसा की गई, लेकिन शुभरंजन सेन ने इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया। 
स्पष्टीकरण में स्पष्ट नहीं किया गया कि रिपोर्ट में किसी अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के सक्रिय होने का शक जताया गया था या नहीं और यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि यदि शक जताया गया था तो शुभ रंजन सेन ने इस दिशा में क्या निर्णय लिया। 

नवदुनिया ने दावा किया है कि उसके द्वारा निरंतर समाचार प्रकाशित किए जाने के कारण, मध्य प्रदेश वन विभाग, वन्यप्राणी शाखा को बांधवगढ़ प्रबंधन को नोटिस जारी करना पड़ा था। इस पूरे मामले में सेन ने खामियों को स्वीकार करते हुए लिखा था कि एनटीसीए द्वारा स्थापित प्रोटोकाल का पालन नहीं किया गया था। 
स्पष्टीकरण में स्पष्ट नहीं किया गया कि नोटिस जारी हुआ था या नहीं, हुआ था तो शुभ रंजन सेन ने खामियों को स्वीकार किया था या नहीं। 

स्टीकर टाइप स्पष्टीकरण से बात नहीं बनती

कुल मिलाकर स्पष्टीकरण जारी हो जाने के बाद शुभरंजन सेन के संबंध में कुछ नए सवाल भी उपस्थित हो गए हैं। मध्य प्रदेश, दुनिया का टाइगर स्टेट है। यहां अंतरराष्ट्रीय माफिया की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। पिछले दिनों में बाघों की असमय मृत्यु की घटनाओं में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। सोशल मीडिया हैंडल्स पर सिर्फ एक स्टीकर टाइप स्पष्टीकरण से बात नहीं बनती। मध्य प्रदेश शासन के वन विभाग से अधिकृत दस्तावेज जारी होना चाहिए। शुभरंजन सेन निर्दोष है तो नवदुनिया माफी मांग लेगा और यदि नवदुनिया के समाचार सही है तो शुभरंजन सेन को दंडित किया जाना चाहिए। 

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