मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था ने जनहित याचिका दायर करके मध्य प्रदेश मे ओबीसी वर्ग को एस.सी. एवं एस.टी. के समान अनुपातिक आरक्षण दिए जाने की राहत चाही गई है। हाई कोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण विभाग से संबंधित सभी याचिकाओं के साथ इस याचिका को भी संलग्न कर दिया है।
वैदिक सभ्यता में OBC कोई श्रेणी ही नहीं थी
याचिका में उठाए गए मुद्दो के समर्थन मे बताया गया है कि, सैकड़ो वर्ष पुरानी भारतीय वैदिक सामाजिक व्यवस्था में आज के सम्पूर्ण ओबीसी वर्ग को शूद्र वर्णित किया गया है, जिनका मण्डल आयोग ने वैदिक साहित्यों का अध्ययन करके शूद्र वर्णित जातियो को ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है। आयोग ने वैदिक सभ्यता में व्याप्त सामाजिक विषमता तथा भेदभाव को वर्तमान आरक्षण का मूल आधार बताया गया है।
OBC को SC के समान आरक्षण के लिए 142 साल से मांग चल रही है
सदियो पुरानी असमानता वाली सामाजिक व्यवस्था को दूर किए जाने के उद्देश्य से महात्मा ज्योतिवराव फुले द्वारा विलियम हंटर आयोग के समक्ष वर्ष 1882 में आरक्षण की मांग की गई थी। याचिका में आगे आरक्षण के समबंध में तत्कालीन मैसूर राज्य के महाराजा वाडियार के द्वारा वर्ष मे 1919 में गठित किया गया मिलर कमीशन की अनुशंसाओ को याचिका मे रेखांकित किया गया है तथा वर्ष 1932 मे ब्रिटिश भारत के लिए नया संविधान बनाने के उद्देश्य से इंग्लैंड में आयोजित, गोलमेज सम्मेलन में आरक्षण पर किए गए विचार विमर्श के आधार पर याचिका में ओबीसी वर्ग को आनुपातिक आरक्षण का हकदार बताया गया है।
याचिका में 26/01/1950 से संविधान लागू होने से आजाद भारत में ओबीसी वर्ग को आरक्षण के अधिकारों से संबंधित, काका कालेलकर, मण्डल आयोग, महाजन आयोग तथा गौरीशंकर बिशेन आयोग की रिपोर्टों का याचिका में हावाला दिया गया है। उक्त याचिका की दिनांक 16/7/2014 को कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति श्री संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ़ की खंडपीठ द्वारा प्रारम्भिक सुनवाई की गई, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा की ओबीसी आरक्षण से संवन्धित इस कोर्ट में लगभग 80 याचिकाए विचारधीन है तो इस जनहित याचिका को क्यों स्वीकार किया जाए तब याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कहा कि उक्त याचिकाएं सारहीन हो चुकी है, जो निरस्त किए जाने योग्य है।
तब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को केस में मेरिट पर तर्क किए जाने को कहा गया, अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने उक्त प्रकरण मे मेरिट पर बहस की गई तब याचिका में उठाए गए मुद्दो की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण की पूर्व से विचाराधीन समस्त याचिकाओं को इस जनहित याचिका से लिंक करके आगामी सुनवाई दिनांक 19.7.2024 नियत कर दी गई है। याचिका कर्ता की ओर से पैरवी विनायक प्रसाद शाह, रामेश्वर सिंह ठाकुर, परमानंद साहू, पुष्पेंद्र शाह रूप सिंह मरावी ने की।
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