कल का मौसम - 3 राज्यों में भारी बाढ़ की चेतावनी, 20 राज्यों में मूसलाधार बारिश होगी - WEATHER FORECAST

पूर्वोत्तर भारत में मानसून की पहली बारिश के दौरान ही बाढ़ आ गई और 6 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा। आठ नदियों में पानी खतरे के निशान से ऊपर चल रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने तीन राज्यों में भारी बाढ़ की चेतावनी जारी की है जबकि 9 राज्यों में मूसलाधार बारिश होगी जिसके कारण वर्षा की अवधि में सामान्य जनजीवन प्रभावित हो जाएगा। 

मानसून अलर्ट - इन राज्यों में भारी और मूसलाधार बारिश होगी

  • उप-हिमालय पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है। 
  • गुजरात क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) के साथ अत्यंत भारी वर्षा (>204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है। 
  • उत्तराखंड में अगले 4 दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है। 
  • पंजाब में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की अत्यधिक संभावना है। 
  • हरियाणा, चंडीगढ़ एवं दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है। 
  • पश्चिम उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है। 
  • पूर्वी उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है।  
  • बिहार में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की अत्यधिक संभावना है।
  • अरुणाचल प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है, जबकि 05 और 06 जुलाई, 2024 को अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) के साथ अत्यंत भारी वर्षा (>204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है।
  • असम एवं मेघालय में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की अत्यधिक संभावना है, जबकि 05 और 06 जुलाई, 2024 को अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) के साथ अत्यंत भारी वर्षा (>204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है।
  • नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है।
  • मध्य महाराष्ट्र में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की अत्यधिक संभावना है, जबकि 06 जुलाई, 2024 को अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है।
  • गुजरात में सौराष्ट्र एवं कच्छ में भारी वर्षा (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की प्रबल संभावना है।
  • तटीय कर्नाटक में भारी वर्षा (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है।
  • कोंकण एवं गोवा में अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की अत्यधिक संभावना है, जबकि 06 जुलाई, 2024 को अलग-अलग स्थानों पर भारी (64.5-115.5 मिलीमीटर) से बहुत भारी वर्षा (115.5-204.4 मिलीमीटर) होने की संभावना है।

दिल्ली मौसम का पूर्वानुमान 

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली से लेकर गंगा के मैदानी इलाकों तक एक पूर्व-पश्चिम ट्रफ रेखा बनी हुई है। दिल्ली/हरियाणा क्षेत्र के आसपास निचले स्तरों पर ट्रफ में कमजोर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। हालांकि, यह ट्रफ थोड़ा उत्तर और दक्षिण की ओर घूमेगी, लेकिन इस सप्ताहांत तक इस क्षेत्र में व्यापक रूप से घूमेगी।

अगले 5-6 दिनों तक दिल्ली और उपनगरों में बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। आज बारिश की तीव्रता और फैलाव अधिक होने की संभावना है। शाम और रात के शुरुआती घंटों में तेज हवाओं के साथ कुछ भारी बारिश होने की संभावना है। बारिश इतनी तेज हो सकती है कि निचले इलाकों और अंडरपास में पानी भर जाने के कारण यात्रियों को परेशानी हो सकती है। देर रात को मौसम की गतिविधियां धीमी हो जाएंगी।

सप्ताह के दौरान दिन का तापमान 30 डिग्री से नीचे और न्यूनतम तापमान 20 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। जुलाई और अगस्त सबसे ज़्यादा बारिश वाले महीने हैं, जुलाई की तुलना में अगस्त में थोड़ी ज़्यादा बारिश होती है। सफ़दरजंग की रिकॉर्ड वेधशाला के अनुसार जुलाई में औसतन लगभग 210 मिमी बारिश होती है। इस कुल बारिश का एक अच्छा हिस्सा चालू सप्ताह के दौरान देखे जाने की संभावना है। लगातार बादल छाए रहने के कारण मौसम की स्थिति सुहावनी बनी रहेगी। बारिश न होने पर उच्च आर्द्रता बेचैनी बढ़ाने वाली चिंता बनी रह सकती है। 

मध्य प्रदेश मौसम का पूर्वानुमान 

दक्षिणी गुजरात के तट से लगे उत्तर पूर्वी अरब सागर से लेकर पश्चिमी बिहार तक एक द्रोणिका बनी हुई है, जो मध्यप्रदेश के ऊपर से होकर गुजर रही है।एक चक्रवात हरियाणा तो दूसरा दक्षिणी गुजरात में बना हुआ है। पाकिस्तान और उससे लगे गुजरात में भी प्रणाली बनी हुई है। पूरे प्रदेश में दक्षिण-पश्चिमी बनी हुई है। इसके चलते प्रदेश में अरब सागर से नमी आ रही है, जिसके चलते आगामी पांच दिनों में उज्जैन संभाग, सागर संभाग, जबलपुर संभाग, चंबल संभाग और ग्वालियर संभाग में भारी वर्षा की स्थिति बनने के आसार है।

छत्तीसगढ़ मौसम का पूर्वानुमान 

मौसम विभाग के अनुसार आने वाले तीन दिनों में सरगुजा संभाग व बिलासपुर संभाग से लगे हुए जिलों में भारी बारिश की संभावना है। हालांकि मध्य व दक्षिण छत्तीसगढ़ में बारिश की गतिविधि थोड़ी कम होगी। रायपुर सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सोमवार सुबह से बादल छाने के साथ हल्की बारिश हुई। इसके चलते मौसम में ठंडकता आ गई है।

बिलासपुर में जून की बारिश ने 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ा 

इस साल जून माह वर्षा की दृष्टि से बिलासपुर के लिए सुकून भरा रहा। गर्मी और उमस के बीच रिकार्ड पानी गिरा। किसानों की चिंता दूर हुई तो वहीं आमजन ने 24 घंटे की झड़ी का लुत्फ उठाया। एक महीनें में 254 मिमी वर्षा दर्ज की गई। बीते आठ साल में इतनी वर्षा नहीं हुई थी। साल 2015 में ही सबसे ज्यादा 270.3 मिमी वर्षा दर्ज है। अब जुलाई माह शुरू हो चुका है। पहले दिन की वर्षा ने संकेत भी दे दिए हैं कि इस माह भी स्थिति बेहतर रहेगी। ऐसे में अच्छी वर्षा का अनुमान है।

भयंकर बाढ़ में फंसे पूर्वोत्तर भारत में मानसून का पूर्वानुमान 

पूर्वोत्तर भारत में इस सप्ताह भारी बारिश होने का खतरा है। 04 जुलाई से बारिश की तीव्रता बढ़ने की संभावना है। अरुणाचल प्रदेश के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश हुई है। इससे विशाल ब्रह्मपुत्र नदी में भारी बहाव शुरू हो गया है। ऊपरी असम बाढ़ की चपेट में है, जहां आठ नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और ब्रह्मपुत्र नदी जोरहाट जिले के नेमाटीघाट में अपने उच्चतम बाढ़ स्तर को पार कर गई है। 

इससे पहले, नदी डिब्रूगढ़ में भी खतरे के स्तर को पार कर गई थी, लेकिन आज यह निशान से थोड़ा नीचे आ गई। असम के उन्नीस जिलों में बाढ़ की वजह से 6 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं। मानसून की रेखा का झुकाव तराई और असम घाटी के करीब होने की ओर है। बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ बांग्लादेश में नमी बढ़ा रही हैं। 48 घंटों के बाद बारिश की गतिविधि बढ़ने की उम्मीद है। 

04 से 06 जुलाई 2024 के बीच अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में भारी से बहुत भारी बारिश होने की उम्मीद है। इन तिथियों से पहले अधिकांश स्थानों पर मध्यम बारिश जारी रहेगी। यहाँ तक कि, यह गतिविधि अगले सप्ताह भी जारी रहेगी। असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण, सप्ताह के मध्य के बाद बाढ़ की स्थिति और खराब हो सकती है। ऊपरी असम और निचला असम, दोनों ही भयंकर बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के उफान पर आने की संभावना है। 

कई स्थानों पर जलस्तर तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, जो खतरे के निशान को पार कर जाएगा। 7 जुलाई के बाद भारी बारिश में थोड़ी कमी आने की संभावना है। हालांकि , बारिश कम होने के बाद भी जलस्रोतों का जलस्तर बढ़ता रहता है। अगले एक सप्ताह के लिए पूरे क्षेत्र और खासकर असम घाटी के लिए अलर्ट और अलार्म जारी किया गया है। 

मौसम विभाग के सेटेलाइट के अनुसार मानसून की लास्ट लोकेशन और पूर्वानुमान

मानसून की उत्तरी सीमा 26°N/65°E, जैसलमेर, सिरसा, कुरूक्षेत्र, राजपुरा, लुधियाना और 31.2°N/74.5°E से होकर गुजर रही है। अगले 2-3 दिनों के दौरान राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के शेष हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हैं। मॉनसून ट्रफ अंततः हिमालय की तलहटी में स्थानांतरित हो गया है और वर्तमान में उत्तर बंगाल से लेकर यूपी तक उत्तराखंड तक फैला हुआ है। इसे देखते हुए अगले 72 घंटों में भारत के सुदूर उत्तरी क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां बढ़ जाएंगी। 

भारत के आसमान में कहाँ कौन सा सिस्टम

  • मध्य पाकिस्तान और आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
  • उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और उसके आसपास चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है और अब यह समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर तक फैला हुआ है।
  • उत्तरी पंजाब से मिजोरम तक उत्तरी हरियाणा, उत्तरी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बिहार तक एक ट्रफ रेखा उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और असम पर औसत समुद्र तल से 0.9 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बनी हुई है।
  • पूर्वोत्तर असम और आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
  • उत्तरी गुजरात और आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से 3.1 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
  • दक्षिण गुजरात और आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से 3.1 से 7.6 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है, जो ऊंचाई के साथ दक्षिण-पश्चिम की ओर झुका हुआ है।
  • दक्षिण गुजरात से मध्य मध्य प्रदेश तक चक्रवाती परिसंचरण के ऊपर से समुद्र तल से 5.8 किमी ऊपर एक ट्रफ रेखा बनी हुई है।
  • महाराष्ट्र-केरल तटों पर औसत समुद्र तल पर अपतटीय गर्त बना हुआ है।
  • उत्तरी हरियाणा और आसपास के क्षेत्र में समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर चक्रवाती परिसंचरण कम चिह्नित हो गया है।  

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